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"MSME को 45 दिनों के भीतर भुगतान और आयकर अधिनियम की धारा 43B(h)"

 नमस्ते दोस्तों! 🙏 आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण और व्यावसायिक दृष्टिकोण से प्रासंगिक विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं—"MSME को 45 दिनों के भीतर भुगतान और आयकर अधिनियम की धारा 43B(h)"। यह ब्लॉग पोस्ट आपको इस नियम के बारे में गहन, सटीक और शोध-आधारित जानकारी प्रदान करेगा, ताकि आप इसे आसानी से समझ सकें और अपने व्यवसाय में इसका सही ढंग से पालन कर सकें। तो चलिए शुरू करते हैं!

MSME का महत्व और भुगतान में देरी की समस्या

भारत में माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। ये उद्यम न केवल लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हालांकि, इन छोटे उद्यमों को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है—बड़ी कंपनियों से समय पर भुगतान न मिलना। इससे उनकी कार्यशील पूंजी (working capital) प्रभावित होती है और व्यवसाय चलाना मुश्किल हो जाता है।

इसी समस्या को हल करने के लिए सरकार ने MSME अधिनियम, 2006 में प्रावधान किए हैं। इसके अलावा, आयकर अधिनियम, 1961 में हाल ही में एक नया संशोधन—धारा 43B(h)—जोड़ा गया है, जो MSME को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए व्यवसायों पर दबाव डालता है।

आयकर अधिनियम की धारा 43B(h) क्या है?

धारा 43B आयकर अधिनियम की एक ऐसी धारा है जो कुछ खास खर्चों की कटौती को इस शर्त पर सीमित करती है कि उनका भुगतान वास्तव में कर दिया गया हो। इस धारा में अब एक नया उप-खंड (h) जोड़ा गया है, जो विशेष रूप से माइक्रो और स्मॉल उद्यमों (MSMEs) को भुगतान से संबंधित है।

इस प्रावधान के अनुसार:

  • अगर कोई व्यवसाय माइक्रो या स्मॉल उद्यम से माल या सेवाएँ खरीदता है, तो उस खर्च को कर कटौती के रूप में तभी माना जाएगा, जब भुगतान MSME अधिनियम, 2006 की धारा 15 में निर्धारित समय सीमा के भीतर कर दिया जाए।
  • यदि भुगतान समय पर नहीं होता, तो उस खर्च को उस वित्तीय वर्ष की कर योग्य आय में जोड़ दिया जाएगा। कटौती केवल उसी वर्ष में मिलेगी, जिसमें भुगतान वास्तव में किया जाएगा।
  • MSME अधिनियम की धारा 15: भुगतान की समय सीमा

    MSME अधिनियम की धारा 15 भुगतान की समय सीमा को स्पष्ट करती है। इसके अनुसार:

    • यदि कोई लिखित समझौता नहीं है: भुगतान आपूर्ति की तारीख से 15 दिनों के भीतर करना होगा।
    • यदि लिखित समझौता है: भुगतान समझौते में तय समय पर करना होगा, लेकिन यह समय सीमा 45 दिनों से अधिक नहीं हो सकती।

    इसका मतलब है कि किसी भी स्थिति में भुगतान 45 दिनों से ज्यादा देर नहीं हो सकता। अगर ऐसा होता है, तो धारा 43B(h) के तहत उस खर्च की कटौती उस वर्ष में नहीं मिलेगी।

  • धारा 43B(h) कब से लागू हुई?

    यह प्रावधान 1 अप्रैल, 2024 से लागू हो गया है और यह वित्तीय वर्ष 2023-24 से प्रभावी है। यानी, 1 अप्रैल, 2023 के बाद माइक्रो और स्मॉल उद्यमों से की गई खरीदारी पर यह नियम लागू होगा।


  • 2025 के संशोधन के अनुसार MSME की नई श्रेणियाँ

    सरकार ने 1 अप्रैल, 2025 से लागू होने वाले नए नियमों के तहत MSME की श्रेणियों को पुनः परिभाषित किया है। यह जानकारी आधिकारिक स्रोतों और नवीनतम अधिसूचनाओं पर आधारित है। नीचे नई श्रेणियाँ दी गई हैं:

    1. माइक्रो उद्यम

  • निवेश: 2.5 करोड़ रुपये तक (पहले 1 करोड़ रुपये)
  • टर्नओवर: 10 करोड़ रुपये तक (पहले 5 करोड़ रुपये)

2. स्मॉल उद्यम

  • निवेश: 25 करोड़ रुपये तक (पहले 10 करोड़ रुपये)
  • टर्नओवर: 100 करोड़ रुपये तक (पहले 50 करोड़ रुपये)

3. मीडियम उद्यम

  • निवेश: 125 करोड़ रुपये तक (पहले 50 करोड़ रुपये)
  • टर्नओवर: 500 करोड़ रुपये तक (पहले 250 करोड़ रुपये)

इन नए नियमों का उद्देश्य अधिक उद्यमों को MSME के दायरे में लाना है, ताकि वे सरकारी योजनाओं, ऋण सुविधाओं, और अन्य लाभों का उपयोग कर सकें। यह संशोधन विशेष रूप से उन उद्यमों के लिए फायदेमंद है जो तेजी से विकास कर रहे हैं और पुरानी सीमाओं के कारण MSME का दर्जा खोने के कगार पर थे।


संशोधन का प्रभाव

इन नए नियमों से उद्यमों पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे:

  • अधिक लचीलापन: उद्यम अब अधिक निवेश कर सकते हैं और अपना टर्नओवर बढ़ा सकते हैं, बिना MSME का दर्जा खोए।
  • बेहतर ऋण सुविधाएँ: MSME के तहत आने वाले उद्यमों को बैंकों से कम ब्याज दरों पर ऋण मिलता है, और नए नियमों के तहत अधिक उद्यम इस लाभ का उपयोग कर सकेंगे।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ: MSME को सरकारी खरीद में प्राथमिकता, तकनीकी सहायता, और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ मिलता है।
  • ध्यान दें: धारा 43B(h) केवल माइक्रो और स्मॉल उद्यमों पर लागू होती है। मीडियम उद्यम इस नियम के दायरे से बाहर हैं।


    व्यवसायों पर धारा 43B(h) का प्रभाव

    इस प्रावधान का व्यवसायों पर कई तरह से असर पड़ता है:

    1. कर देयता में वृद्धि: अगर समय पर भुगतान नहीं किया जाता, तो खर्च को आय में जोड़ा जाएगा, जिससे कर देनदारी बढ़ेगी।
    2. नकदी प्रवाह पर दबाव: व्यवसायों को अपनी नकदी (cash flow) को इस तरह प्रबंधित करना होगा कि वे 45 दिनों के भीतर भुगतान कर सकें।
    3. दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता: MSME के साथ लिखित समझौता होना चाहिए, ताकि 45 दिनों की समय सीमा का लाभ लिया जा सके।

    एक उदाहरण से समझें

    मान लीजिए, एक कंपनी ने 1 जून, 2023 को एक माइक्रो उद्यम से 10 लाख रुपये का माल खरीदा। उनके बीच कोई लिखित समझौता नहीं है। इस स्थिति में:

    • भुगतान 15 दिनों के भीतर, यानी 16 जून, 2023 तक करना होगा।
    • अगर कंपनी 30 जून, 2023 को भुगतान करती है, तो यह समय सीमा से बाहर होगा। ऐसे में, 10 लाख रुपये की कटौती वित्तीय वर्ष 2023-24 में नहीं मिलेगी। यह कटौती केवल उसी वर्ष मिलेगी, जिसमें भुगतान होगा।

    अब, अगर उनके बीच 45 दिनों का लिखित समझौता है:

    • भुगतान 16 जुलाई, 2023 तक करना होगा।
    • अगर कंपनी 30 जून, 2023 को भुगतान कर देती है, तो यह कटौती वित्तीय वर्ष 2023-24 में ही मान्य होगी।
    • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

      1. क्या यह नियम मीडियम उद्यमों पर लागू होता है?

      नहीं, यह केवल माइक्रो और स्मॉल उद्यमों पर लागू होता है।

      2. अगर भुगतान 45 दिनों के बाद होता है, तो क्या होगा?

      उस खर्च को उस वर्ष की आय में जोड़ा जाएगा, और कटौती केवल भुगतान के वर्ष में मिलेगी।

      3. क्या यह नियम व्यापारियों पर लागू होता है?

      नहीं, यह केवल मैन्युफैक्चरिंग या सेवा प्रदान करने वाले MSME पर लागू होता है, न कि व्यापारियों पर।

      4. क्या GST सहित राशि पर यह नियम लागू होगा?

      हाँ, कुल राशि (GST सहित) पर यह प्रावधान लागू होता है।

      5. क्या इस नियम से बचने का कोई तरीका है?

      नहीं, यह एक कानूनी बाध्यता है। व्यवसायों को अपने भुगतान चक्र को व्यवस्थित करना होगा।


      निष्कर्ष

      धारा 43B(h) का मुख्य उद्देश्य माइक्रो और स्मॉल उद्यमों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना है, ताकि उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हो सके। यह व्यवसायों के लिए एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि अब उन्हें अपने भुगतान प्रक्रिया में अनुशासन लाना होगा। समय पर भुगतान न केवल MSME के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह व्यवसायों को कर लाभ प्राप्त करने में भी मदद करता है।

      हमारी सलाह है कि सभी व्यवसाय अपने MSME आपूर्तिकर्ताओं के साथ लिखित समझौते करें, उनके पंजीकरण की जाँच करें, और भुगतान को 45 दिनों के भीतर पूरा करें। इससे न केवल कानूनी अनुपालन होगा, बल्कि आपसी विश्वास भी बढ़ेगा।

      उम्मीद है कि यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आपके कोई और सवाल हैं, तो नीचे कमेंट करें। धन्यवाद!


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