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I.T.R.-1 फॉर्म के बदलाव (आकलन वर्ष 2025-26)

परिचय

आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आईटीआर-1 (सहज) फॉर्म में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो व्यक्तिगत करदाताओं के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। ये बदलाव कुछ करदाताओं के लिए प्रक्रिया को सरल बनाते हैं, लेकिन कुछ नए नियमों के कारण अतिरिक्त तैयारी की आवश्यकता हो सकती है। यह विस्तृत विश्लेषण आपको सभी प्रमुख बदलावों को समझने में मदद करेगा, ताकि आप अपनी फाइलिंग सही और समय पर कर सकें।

प्रमुख बदलावों का अवलोकन

नीचे आईटीआर-1 फॉर्म में हुए प्रमुख बदलावों की सूची दी गई है, जिन्हें सरल और संक्षिप्त रूप में समझाया गया है। प्रत्येक बदलाव के महत्व और उसके प्रभाव को भी बताया गया है।

बदलावविवरणप्रभाव
आधार नंबर अनिवार्यअब केवल वैध आधार नंबर वाले ही आईटीआर-1 फाइल कर सकते हैं। आधार एनरोलमेंट नंबर का विकल्प हटा दिया गया है।जिनके पास आधार नंबर नहीं है, उन्हें फाइलिंग से पहले आधार प्राप्त करना होगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG)सेक्शन 112A के तहत ₹1.25 लाख तक के LTCG को आईटीआर-1 में छूट वाली आय के रूप में दिखाया जा सकता है।छोटे निवेशकों के लिए राहत, लेकिन अधिक गेन्स या शॉर्ट टर्म गेन्स के लिए आईटीआर-2 जरूरी।
टैक्स रिजीम का चुनावनया टैक्स रिजीम डिफॉल्ट है; पुराने रिजीम के लिए “हाँ” चुनना होगा।डिडक्शंस चाहने वालों को पुराना रिजीम चुनना होगा।
विस्तृत डिडक्शंसपुराने रिजीम में 80C, 80D आदि के लिए ड्रॉपडाउन लिस्ट्स में विस्तृत जानकारी देनी होगी।सटीकता बढ़ेगी, लेकिन समय और मेहनत ज्यादा लगेगी।
बैंक अकाउंट्स की जानकारीसभी भारतीय बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स (IFSC, अकाउंट नंबर, प्रकार) देनी होंगी।रिफंड और वेरिफिकेशन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
TDS शेड्यूलअब डिटेल्ड TDS शेड्यूल भरना होगा, जिसमें डिडक्टर, टैन, और राशि की जानकारी देनी होगी।TDS की सटीक रिपोर्टिंग सुनिश्चित होगी।

बदलावों का विस्तृत विश्लेषण

  1. आधार नंबर की अनिवार्यता
    पहले, जिन करदाताओं ने आधार के लिए एनरोलमेंट कराया था लेकिन उन्हें आधार नंबर नहीं मिला था, वे अपने एनरोलमेंट नंबर का उपयोग करके आईटीआर-1 फाइल कर सकते थे। अब यह विकल्प हटा दिया गया है, जिसका मतलब है कि केवल वैध आधार नंबर वाले ही इस फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं। यह बदलाव आधार को टैक्स फाइलिंग से जोड़ने की दिशा में एक कदम है, लेकिन जिनके पास आधार नहीं है, उन्हें फाइलिंग से पहले इसे प्राप्त करना होगा। सलाह: फाइलिंग शुरू करने से पहले अपने आधार नंबर की उपलब्धता और सत्यापन सुनिश्चित करें।
  2. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) की शामिलता
    एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब सेक्शन 112A के तहत ₹1.25 लाख तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स को आईटीआर-1 में छूट वाली आय के रूप में रिपोर्ट किया जा सकता है। सेक्शन 112A उन लॉन्ग टर्म गेन्स को कवर करता है जो लिस्टेड इक्विटी शेयरों या इक्विटी-ओरिएंटेड फंड्स से प्राप्त होते हैं, जिन पर सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) लागू होता है। पहले, किसी भी प्रकार के कैपिटल गेन्स (लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म) होने पर करदाताओं को आईटीआर-2 फाइल करना पड़ता था, जो अधिक जटिल है। यह नया नियम छोटे निवेशकों के लिए राहत लेकर आया है, जो अब सरल आईटीआर-1 फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं।
    ध्यान देने योग्य बातें:
    • अगर LTCG ₹1.25 लाख से अधिक है, तो आपको आईटीआर-2 फाइल करना होगा।
    • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स होने पर भी आईटीआर-2 अनिवार्य है।
    • अगर आपके पास कैपिटल लॉस है जिसे आप आगे कैरी फॉरवर्ड करना चाहते हैं, तो आईटीआर-1 उपयुक्त नहीं है; इसके लिए भी आईटीआर-2 फाइल करें।

  3. टैक्स रिजीम का चयन
    नया टैक्स रिजीम अब डिफॉल्ट है, जिसके तहत कम टैक्स रेट्स हैं लेकिन डिडक्शंस (जैसे 80C, 80D) उपलब्ध नहीं हैं। अगर आप पुराने टैक्स रिजीम का चयन करना चाहते हैं, जिसमें डिडक्शंस का लाभ मिलता है, तो आपको फॉर्म में “Do you wish to exercise the option under Section 115BAC of opting out of new tax regime?” के तहत “हाँ” चुनना होगा। यह विकल्प आपकी आय और डिडक्शंस के आधार पर महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास PPF, LIC, या मेडिकल इंश्योरेंस जैसे निवेश हैं, तो पुराना रिजीम आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। Income Tax Department के अनुसार, यह विकल्प हर साल चुना जा सकता है, बशर्ते आपकी आय व्यवसाय या पेशे से न हो।
  4. डिडक्शंस में विस्तृत जानकारी
    पुराने टैक्स रिजीम का चयन करने वालों के लिए, डिडक्शंस की जानकारी अब ड्रॉपडाउन लिस्ट्स के माध्यम से देनी होगी। उदाहरण के लिए:
    • सेक्शन 80C: PPF, LIC, ELSS, NSC, या सुकन्या समृद्धि योजना जैसे निवेशों की डिटेल्स।
    • सेक्शन 80D: मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम की जानकारी।
    • अन्य सेक्शंस: 80G (दान), 80E (शिक्षा ऋण ब्याज), आदि।
      यह नया सिस्टम सुनिश्चित करता है कि करदाता सही डिडक्शंस का दावा करें, लेकिन इसके लिए अधिक विस्तृत जानकारी और समय की आवश्यकता होगी।

    •  बैंक अकाउंट्स की जानकारी
  5. अब करदाताओं को अपने सभी भारतीय बैंक अकाउंट्स की पूरी जानकारी देनी होगी, जिसमें शामिल हैं:
    • IFSC कोड
    • बैंक का नाम
    • अकाउंट नंबर
    • अकाउंट का प्रकार (सेविंग्स या करंट)
      यह जानकारी रिफंड प्रक्रिया को सुचारू बनाने और आयकर विभाग को करदाता की वित्तीय गतिविधियों का सटीक रिकॉर्ड रखने में मदद करती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई जानकारी छूट न जाए, अपनी बैंक डिटेल्स पहले से तैयार रखें।
  6. TDS शेड्यूल में विस्तार
    पहले, आईटीआर-1 में TDS की जानकारी सीमित थी, जिसमें केवल TDS राशि, डिडक्टर का टैन नंबर, और ग्रॉस राशि देनी होती थी। अब, आईटीआर-2 की तरह, एक विस्तृत TDS शेड्यूल भरना होगा, जिसमें प्रत्येक TDS डिडक्शन के लिए निम्नलिखित जानकारी शामिल होगी:
    • डिडक्टर का नाम
    • टैन नंबर
    • TDS राशि
    • ग्रॉस राशि (कुल प्राप्तियां)
      यह बदलाव TDS की सटीकता बढ़ाता है और गलतियों की संभावना को कम करता है।

अतिरिक्त सलाह

  • कैपिटल लॉस की स्थिति: अगर आपके पास कैपिटल लॉस है जिसे आप भविष्य में समायोजित करना चाहते हैं, तो आईटीआर-1 उपयुक्त नहीं है। इसके लिए आपको आईटीआर-2 फाइल करना होगा, क्योंकि आईटीआर-1 में लॉस की रिपोर्टिंग का प्रावधान नहीं है।
  • AIS की जाँच: फाइलिंग से पहले अपने Annual Information Statement (AIS) की जाँच करें। AIS में आपकी सभी आय (जैसे शेयर बाजार से आय, ब्याज, डिविडेंड) और TDS की जानकारी होती है। यह सुनिश्चित करता है कि आपकी फाइलिंग में कोई त्रुटि न हो।
  • पेशेवर सहायता: अगर आपको नए नियमों को समझने या फाइलिंग में कठिनाई हो रही है, तो TAXGURU JI DIGITAL  टैक्स प्रोफेशनल से संपर्क करें।
  • MOB. NO -08896759615

निष्कर्ष

आईटीआर-1 फॉर्म में हुए ये बदलाव छोटे निवेशकों और सामान्य करदाताओं के लिए कुछ राहत लाते हैं, लेकिन साथ ही अधिक विस्तृत जानकारी देने की आवश्यकता भी बढ़ाते हैं। आधार नंबर, LTCG, डिडक्शंस, और TDS जैसे बदलावों को ध्यान में रखते हुए, अपनी फाइलिंग की तैयारी पहले से करें। सटीकता के लिए Income Tax Department की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी की जाँच करें। टैक्स से जुड़े और अपडेट्स के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और अपने सवाल कमेंट्स में पूछें।


"हेलो दोस्तों, TAXGuruJi DIGITAL ' में आपका स्वागत है! नया फाइनेंसियल ईयर 2025-26 शुरू हो चुका है, और इसके साथ TDS और TCS नियमों में कुछ बड़े बदलाव आए हैं, जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए।  आज हम 7 ऐसे महत्वपूर्ण अपडेट्स की गहराई से चर्चा करेंगे, जो आपके लाखों रुपये बचा सकते हैं और आपकी बुक्स को परफेक्ट रख सकते हैं। ये वीडियो इतना जरूरी है कि आपको इसे अंत तक देखना ही चाहिए। साथ ही, इसे अपने दोस्तों और बिजनेस पार्टनर्स के साथ शेयर करें, सब्सक्राइब बटन दबाएँ, और चलिए शुरू करते हैं!"





*लक्जरी सामान जैसे घड़ियाँ, कार, और यॉट की विजुअल्स*  

"पहला बदलाव बहुत बड़ा है, और ये 2 अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है। अगर आप लक्जरी सामान जैसे कार, महंगी घड़ियाँ, या यॉट खरीदते या बेचते हैं, तो ध्यान दें! सेक्शन 206C(1F) के तहत पहले से ही 10 लाख रुपये से ज्यादा की कारों पर 1% TCS लागू था। लेकिन अब सरकार ने इस दायरे को बढ़ा दिया है और कई नए लक्जरी सामानों को शामिल किया है। ये हैं वो सामान:  

- रिस्ट वॉचेस (महंगी घड़ियाँ)  

- आर्ट पीस, एंटीक पेंटिंग्स, स्कल्पचर्स  

- कलेक्टिबल कॉइन्स और स्टैम्प्स  

- यॉट, बोट्स, हेलीकॉप्टर्स  

- सनग्लासेस, हैंडबैग्स, जूते  

- स्पोर्ट्स गियर और होम थिएटर सिस्टम  

- रेसिंग या पोलो के लिए इस्तेमाल होने वाले घोड़े  


अगर इनमें से किसी भी सामान की सिंगल ट्रांजैक्शन वैल्यू 10 लाख रुपये से ज्यादा है, तो 1% TCS कलेक्ट करना अनिवार्य है। मान लीजिए, आपने 15 लाख की घड़ी खरीदी, तो सेलर को 15,000 रुपये का TCS कलेक्ट करना होगा। अगर आप बिजनेस में हैं और ये सामान बेचते हैं, तो अपनी अप्रैल 2025 की ट्रांजैक्शंस चेक करें, खासकर 2 अप्रैल के बाद की। अगर आपने TCS नहीं कलेक्ट किया, तो ये आपकी जिम्मेदारी है, और इसे मई 2025 तक जमा करना होगा।"


*TCS सेक्शन को क्रॉस आउट करते हुए ग्राफिक्स*  

"दूसरा बदलाव एक बड़ी राहत है! सेक्शन 206C(1H) के तहत सेल पर TCS को 1 अप्रैल 2025 से पूरी तरह हटा दिया गया है। पहले, अगर आपकी सेल 50 लाख रुपये से ज्यादा थी, तो आपको TCS कलेक्ट करना पड़ता था। लेकिन अब ये नियम खत्म हो गया है। ये इसलिए किया गया क्योंकि सेक्शन 194Q (पर्चेज पर TDS) के साथ ये नियम डुप्लिकेशन और कन्फ्यूजन पैदा कर रहा था। अब केवल पर्चेज पर TDS लागू होगा। तो, अपनी बुक्स चेक करें—अगर आपने अप्रैल में सेल पर TCS कलेक्ट कर लिया है, तो उसे तुरंत ठीक करें, क्योंकि ये नियम अब लागू नहीं है। ये बिजनेसेज के लिए बहुत बड़ी सिम्प्लिफिकेशन है!"


[सेगमेंट 3: 4:30 - 6:00]  

*पैन कार्ड और टैक्स फॉर्म्स की एनिमेशन*  

"तीसरा बदलाव TDS और TCS दोनों के लिए है। पहले, अगर किसी व्यक्ति का पैन नहीं था, तो आपको 20% की हायर रेट से TDS या TCS डिडक्ट करना पड़ता था। साथ ही, अगर कोई व्यक्ति इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल नहीं करता था, तो भी हायर रेट लागू होता था। लेकिन नॉन-ITR फाइलर्स को ट्रैक करना बहुत मुश्किल था। अच्छी खबर ये है कि 1 अप्रैल 2025 से नॉन-ITR फाइलर का प्रावधान हटा दिया गया है। अब आपको सिर्फ पैन चेक करना है। अगर पैन नहीं है, तो 20% रेट से डिडक्शन करें। ITR फाइल किया या नहीं, ये चेक करने की जरूरत नहीं। इससे TDS और TCS डिडक्टर्स का काम बहुत आसान हो गया है!"


*एजुकेशन लोन और जंगल प्रोडक्ट्स की विजुअल्स*  

"चौथा बदलाव विदेशी रेमिटेंस और जंगल प्रोडक्ट्स से जुड़ा है। पहले, अगर आप एजुकेशन लोन लेकर 7 लाख रुपये से ज्यादा की रेमिटेंस करते थे, तो 5% TCS लागू होता था। लेकिन 1 अप्रैल 2025 से इस पर TCS पूरी तरह हट गया है। ये स्टूडेंट्स और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत है। इसके अलावा, जंगल प्रोडक्ट्स जैसे टिम्बर पर TCS रेट में बदलाव हुआ है।  

- अगर टिम्बर फॉरेस्ट लीज के तहत लिया गया है, तो TCS रेट 2.5% से घटाकर 2% कर दिया गया है।  

- अगर टिम्बर किसी अन्य तरीके से लिया गया है, तो भी 2% TCS लागू होगा।  

इन बदलावों को अपनी बुक्स में अपडेट करें, खासकर अगर आप टिम्बर या फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स के बिजनेस में हैं।


*थ्रेशहोल्ड बढ़ने को दिखाते चार्ट्स*  

"पांचवां बदलाव TDS थ्रेशहोल्ड्स में बढ़ोतरी से जुड़ा है, जो टैक्सपेयर्स को काफी राहत देता है। यहाँ डिटेल्स हैं:  

- **सेक्शन 194A**: बैंकों से मिलने वाले ब्याज (सिक्योरिटीज के अलावा) पर TDS की लिमिट अब बढ़ गई है। नॉन-सीनियर सिटीजन्स के लिए 40,000 से 50,000 रुपये, और सीनियर सिटीजन्स के लिए 50,000 से 1 लाख रुपये। अगर ब्याज बैंक के अलावा कहीं और से है, तो TDS की लिमिट 5,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है।  

- **सेक्शन 194D**: डिविडेंड पर TDS की लिमिट 5,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये। अब 10,000 से ज्यादा डिविडेंड पर 10% TDS कटेगा।  

- **सेक्शन 194DA**: इंश्योरेंस कमीशन की लिमिट 15,000 से बढ़ाकर 20,000 रुपये।  

- **सेक्शन 194G**: लॉटरी टिकट्स पर कमीशन की लिमिट भी 15,000 से 20,000 रुपये।  

- **सेक्शन 194H**: ब्रोकरेज या कमीशन की लिमिट 15,000 से 20,000 रुपये, और रेट 5%।  


अपनी बुक्स चेक करें कि कहीं आपने इन नई लिमिट्स से कम अमाउंट पर TDS तो नहीं काट लिया। ये राहत आपको और आपके क्लाइंट्स को फायदा देगी!"


*किराए के एग्रीमेंट्स और प्रोफेशनल फीस की विजुअल्स*  

"छठा बदलाव TDS ऑन रेंट और प्रोफेशनल फीस से जुड़ा है। सेक्शन 194I के तहत रेंट पर TDS में बड़ा बदलाव हुआ है। पहले आप पूरे साल का रेंट जोड़कर 2.5 लाख रुपये की लिमिट देखते थे। अब आपको महीने-दर-महीने चेक करना होगा। अगर मंथली रेंट 50,000 रुपये से ज्यादा है, तो TDS काटना अनिवार्य है। रेट वही हैं—लैंड और बिल्डिंग के लिए 10%, और प्लांट व मशीनरी के लिए 2%।  

इसी तरह, सेक्शन 194J के तहत प्रोफेशनल या टेक्निकल फीस की थ्रेशहोल्ड को 30,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है। अब 50,000 रुपये से ज्यादा की प्रोफेशनल रिसीट्स पर 10% TDS, और टेक्निकल या यूटिलिटी सर्विसेज पर 2% TDS लागू होगा। ये बदलाव प्रोफेशनल्स और बिजनेसेज के लिए बहुत जरूरी हैं।"


*लैंड एक्विजिशन और टैक्स फॉर्म्स की एनिमेशन*  

"सातवां और आखिरी बदलाव लैंड एक्विजिशन के लिए एनहांस्ड कंपनसेशन से जुड़ा है। सेक्शन 194LA के तहत पहले 50,000 रुपये से ज्यादा की कंपनसेशन पर 10% TDS लागू होता था। अब इसकी थ्रेशहोल्ड को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है। यानी, 5 लाख से ज्यादा की कंपनसेशन पर ही TDS कटेगा। ये लैंडओनर्स के लिए बहुत बड़ी राहत है, खासकर ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में।"


*सब्सक्राइब और शेयर बटन्स के साथ कॉल-टू-एक्शन विजुअल्स*  

"तो दोस्तों, ये थे FY 2025-26 के 7 सबसे जरूरी TDS और TCS बदलाव। अपनी बुक्स ऑफ अकाउंट्स को तुरंत चेक करें, गलतियों को ठीक करें, और पेनल्टी से बचें। अगर आपको ये वीडियो पसंद आया, तो लाइक करें, सब्सक्राइब करें, और अपने दोस्तों, फैमिली, और बिजनेस पार्टनर्स के साथ शेयर करें। मेरे इंस्टाग्राम हैंडल को फॉलो करें—आईडी स्क्रीन पर है। साथ ही, TAXGURUJI DIGITAL CHANNEL  पर जाएँ, जहाँ आपको फ्री टैक्स अपडेट्स और कोर्सेज मिलेंगे, जो आपकी जॉब या प्रैक्टिस को नेक्स्ट लेवल पर ले जा सकते हैं। अगली वीडियो में मिलते हैं—तब तक टैक्स-स्मार्ट रहें!"  



 

 होम केयर प्रोडक्ट्स और लाइसेंस

परिचय 

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है हमारे चैनल पर! आज हम बात करेंगे होम केयर प्रोडक्ट्स के बारे में, जैसे डिसइनफेक्टेंट, फ्लोर क्लीनर, टॉयलेट क्लीनर, और ग्लास क्लीनर। ये प्रोडक्ट्स हमारे घरों को साफ और स्वच्छ रखने में मदद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से कुछ प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए खास लाइसेंस की जरूरत होती है? इस वीडियो में, हम आपको बताएंगे कि कौन-कौन से प्रोडक्ट्स के लिए लाइसेंस चाहिए, प्रक्रिया क्या है, और आप कैसे कानूनी रूप से अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं।

लाइसेंस की जरूरत क्यों? 

होम केयर प्रोडक्ट्स का बिजनेस शुरू करने से पहले यह समझना जरूरी है कि कुछ प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए लाइसेंस अनिवार्य है। Drugs and Cosmetics Act, 1940 के अनुसार, अगर आप बिना लाइसेंस के जर्म्स को मारने वाले प्रोडक्ट्स बनाते हैं, तो आपको 3 साल तक की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है। यह कानून इसलिए बनाया गया है ताकि प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित हो। तो, आइए जानते हैं कि कौन-कौन से प्रोडक्ट्स लाइसेंस के दायरे में आते हैं।

प्रोडक्ट्स के प्रकार

होम केयर प्रोडक्ट्स को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  • लाइसेंस चाहिए वाले प्रोडक्ट्स:

    • जो प्रोडक्ट्स जर्म्स को मारने का दावा करते हैं, जैसे:
      • फिनाइल
      • टॉयलेट क्लीनर (जो "99.9% जर्म्स मारता है" का दावा करते हैं)
      • सरफेस डिसइनफेक्टेंट
      • सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन
    • इनके लिए Form 25 पर मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस लेना जरूरी है, क्योंकि ये ड्रग्स की श्रेणी में आते हैं।
  • लाइसेंस नहीं चाहिए वाले प्रोडक्ट्स:

    • जो प्रोडक्ट्स केवल साफ करते हैं और जर्म्स किलिंग का दावा नहीं करते, जैसे:
      • फ्लोर क्लीनर (जो सिर्फ साफ करते हैं)
      • ग्लास क्लीनर
      • कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट
    • इनके लिए कोई ड्रग लाइसेंस की जरूरत नहीं है।

महत्वपूर्ण नोट: अगर आप किसी प्रोडक्ट को किसी और से बनवाकर अपना लेबल लगाते हैं और उस पर जर्म्स किलिंग का दावा करते हैं, तो भी आपको लाइसेंस लेना होगा।

लाइसेंस लेने की प्रक्रिया

अब बात करते हैं लाइसेंस लेने की प्रक्रिया की। यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो सकती है, लेकिन सही जानकारी के साथ आप इसे आसानी से पूरा कर सकते हैं। यहाँ हैं मुख्य चरण:

  1. टेस्ट लाइसेंस (Form 29):

    • सबसे पहले, आपको अपने प्रोडक्ट की छोटी मात्रा बनाने के लिए टेस्ट लाइसेंस लेना होगा। यह आपके राज्य के ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट से मिलता है।
  2. प्रोडक्ट टेस्टिंग:

    • टेस्ट लाइसेंस मिलने के बाद, आपको अपने प्रोडक्ट की टेस्टिंग करानी होगी। यह टेस्टिंग किसी मान्यता प्राप्त लैब में होनी चाहिए। अगर आपके पास अपनी लैब नहीं है, तो आप किसी अन्य लैब से सहमति लेटर ले सकते हैं।
  3. मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस (Form 25):

    • जब आपका प्रोडक्ट टेस्ट में पास हो जाता है, तब आप Form 25 पर मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकते हैं। यह लाइसेंस 5 साल के लिए वैध होता है।
  4. आवेदन प्रक्रिया:

    • आपको अपने राज्य के ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के ऑनलाइन पोर्टल, जैसे drugscontrol.org, पर आवेदन करना होगा।

समय: इस पूरी प्रक्रिया में 7 से 8 महीने लग सकते हैं, इसलिए धैर्य रखें और पहले से तैयारी शुरू करें।

जरूरी दस्तावेज 

लाइसेंस लेने के लिए आपको कई दस्तावेज जमा करने होंगे। यहाँ एक तालिका है जिसमें मुख्य दस्तावेजों की सूची दी गई है:

श्रेणी दस्तावेज
मालिक/पार्टनर/डायरेक्टर आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो
फैक्ट्री संबंधित रजिस्ट्री या रेंट एग्रीमेंट, जीएसटी रजिस्ट्रेशन, पैन कार्ड, मेमोरेंडम और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए)
टेक्निकल स्टाफ दो केमिस्ट (मैन्युफैक्चरिंग और एनालिटिकल), उनकी बीएससी/बी फार्मा डिग्री, मार्कशीट, अप्रूवल लेटर, आधार कार्ड
अन्य फायर एनओसी, पोलूशन एनओसी, पानी की टेस्ट रिपोर्ट, मशीनों की लिस्ट और बिल, प्रोडक्ट्स की लिस्ट, फैक्ट्री का नक्शा

टिप: सभी दस्तावेजों को पहले से तैयार रखें ताकि आवेदन प्रक्रिया में देरी न हो।

टेक्निकल स्टाफ और फैक्ट्री सेटअप 

  • टेक्निकल स्टाफ:

    • आपकी फैक्ट्री में कम से कम दो टेक्निकल स्टाफ होने चाहिए:
      • मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट: जो प्रोडक्ट्स को बनाएगा।
      • एनालिटिकल केमिस्ट: जो प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता की जांच करेगा।
    • दोनों की योग्यता कम से कम बीएससी या बी फार्मा होनी चाहिए। उनके दस्तावेज, जैसे डिग्री और मार्कशीट, लाइसेंस आवेदन के साथ जमा करने होंगे।
  • फैक्ट्री सेटअप:

    • आपकी फैक्ट्री को Good Manufacturing Practices (GMP) के नियमों का पालन करना होगा। इसके लिए आपको चाहिए:
      • चेंजिंग रूम
      • रॉ मैटेरियल स्टोरेज एरिया
      • मिक्सिंग और फिलिंग एरिया
      • टेस्टिंग लैब
    • अगर आप इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री लगा रहे हैं, तो आपको इंडस्ट्रियल अथॉरिटी से एनओसी लेनी होगी। अगर एग्रीकल्चरल लैंड पर है, तो चेंज ऑफ लैंड यूज (CLU) की जरूरत होगी।
  • मशीनें:

    • आपको प्रोडक्शन और टेस्टिंग के लिए विशेष मशीनें लगानी होंगी। इनकी लिस्ट और बिल लाइसेंस आवेदन के साथ जमा करने होंगे।

हमारी मदद कैसे लें 

अगर आप होम केयर प्रोडक्ट्स की फैक्ट्री शुरू करना चाहते हैं या लाइसेंस लेने में मदद चाहिए, तो हमारी कंपनी, जो सोनीपत, हरियाणा में स्थित है, आपकी पूरी सहायता करेगी। हम आपको फैक्ट्री सेटअप, लाइसेंस आवेदन, और टेक्निकल स्टाफ की जानकारी प्रदान करेंगे। संपर्क करें:

  • फोन नंबर: 08896759615
  • ईमेल: taxneelesh3@gmail.com

निष्कर्ष

दोस्तों, होम केयर प्रोडक्ट्स का बिजनेस एक शानदार अवसर है, लेकिन इसे शुरू करने से पहले लाइसेंस की जरूरतों को समझना बहुत जरूरी है। सही जानकारी और प्रक्रिया के साथ, आप कानूनी रूप से अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं और सफलता पा सकते हैं। अगर आपके कोई सवाल हैं, तो कमेंट सेक्शन में पूछें। हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं ताकि ऐसी उपयोगी जानकारी आपको मिलती रहे। धन्यवाद!

सावधानी: यह वीडियो केवल जानकारी के लिए है। लाइसेंस या फैक्ट्री सेटअप से पहले अपने राज्य के ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट से संपर्क करें और नियमों की पुष्टि करें।

सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम - 3 बड़े बदलाव जो आपको जानना चाहिए!

 

सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम - 3 बड़े बदलाव जो आपको जानना चाहिए!

परिचय

नमस्ते दोस्तों, [ TAX GURUJI DIGITAL CHANNEL ] में आपका स्वागत है! आज हम एक ऐसी योजना के बारे में बात करेंगे जो हर सीनियर सिटीजन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है - सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS)! इस स्कीम में हाल ही में तीन बड़े बदलाव हुए हैं, जो आपके निवेश और बचत को सीधे प्रभावित करेंगे। साथ ही, ब्याज दरें जल्द ही कम हो सकती हैं, तो अभी निवेश करने का सही समय है। इस वीडियो को अंत तक देखें और जानें कि आपको क्या करना चाहिए!

SCSS क्या है? 

चलिए, सबसे पहले समझते हैं कि SCSS है क्या। यह भारत सरकार द्वारा समर्थित एक बचत योजना है, जो खास तौर पर सीनियर सिटीजन्स के लिए बनाई गई है। यह आपको सुरक्षित निवेश और नियमित आय प्रदान करती है। आमतौर पर यह 60 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए है, लेकिन अगर आपने जल्दी रिटायरमेंट लिया है, जैसे VRS, तो 55 वर्ष की आयु में, या डिफेंस सर्विसेज से रिटायर हुए हैं, तो 50 वर्ष की आयु में भी आप इसमें निवेश कर सकते हैं। आप इसे सिंगल या अपनी पत्नी/पति के साथ जॉइंट अकाउंट के रूप में खोल सकते हैं।

SCSS खाता कहां खोल सकते हैं?

पहले SCSS खाता केवल पोस्ट ऑफिस में खोला जा सकता था, लेकिन अब आप इसे ICICI, HDFC, और SBI जैसे चुनिंदा बैंकों में भी खोल सकते हैं। सबसे अच्छी बात? अगर आपके पास इन बैंकों में इंटरनेट बैंकिंग है, तो आप घर बैठे ऑनलाइन खाता खोल सकते हैं। बस एक छोटा सा फॉर्म भरें, नॉमिनी की जानकारी डालें, और आपका काम हो गया। सर्टिफिकेट भी कोरियर से आपके घर पहुंच जाएगा।

वर्तमान ब्याज दर और भविष्य की संभावनाएं

फिलहाल, SCSS की ब्याज दर 8.2% प्रति वर्ष है, जो कि काफी आकर्षक है। लेकिन RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती के कारण, विशेषज्ञों का मानना है कि यह दर साल के अंत तक 5% से 7% तक कम हो सकती है। इसका मतलब है कि अगर आप अभी निवेश करते हैं, तो आप इस उच्च ब्याज दर को 5 साल के लिए लॉक कर सकते हैं। अगर आप इंतजार करते हैं, तो आपको कम ब्याज दर पर निवेश करना पड़ सकता है।

तीन बड़े बदलाव 

अब आते हैं उन तीन बड़े बदलावों पर, जो आपको जरूर जानना चाहिए:

1. बार-बार विस्तार की सुविधा

पहला बदलाव यह है कि अब आप अपने SCSS खाते को 5 साल की अवधि के बाद बार-बार 3 साल के लिए बढ़ा सकते हैं। पहले यह केवल एक बार संभव था। लेकिन ध्यान दें, जब आप खाता बढ़ाएंगे, तो उस समय की ब्याज दर लागू होगी। अगर ब्याज दरें कम हो गईं, तो आपको कम रिटर्न मिलेगा।

2. समय से पहले निकासी के नए नियम

दूसरा बदलाव समय से पहले निकासी के नियमों में है। अगर आपने अपना खाता 3 साल के लिए बढ़ाया है और विस्तार के 1 साल बाद इसे बंद करना चाहते हैं, तो अब कोई जुर्माना नहीं देना होगा। पहले इस तरह की निकासी पर जुर्माना लगता था। यह बदलाव आपके लिए बड़ी राहत है, खासकर अगर आपको अचानक पैसे की जरूरत पड़ जाए।

3. TDS छूट की सीमा में वृद्धि

तीसरा बदलाव TDS से संबंधित है। पहले ₹50,000 तक के ब्याज पर TDS नहीं कटता था, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर ₹1,00,000 कर दी गई है। इसका मतलब है कि अगर आपका ब्याज ₹1 लाख तक है और आप टैक्सेबल स्लैब में नहीं आते, तो कोई TDS नहीं कटेगा। अगर आप टैक्स छूट के दायरे में हैं, तो फॉर्म 15H जमा करना न भूलें।

निवेश की रणनीति

अब सवाल यह है कि आपको क्या करना चाहिए? अगर आपका SCSS खाता जल्द ही परिपक्व हो रहा है, तो इसे 3 साल के लिए बढ़ाने के बजाय, इसे बंद करें और 5 साल के लिए नया खाता खोलें। इससे आप वर्तमान 8.2% ब्याज दर को लंबे समय तक सुरक्षित कर लेंगे।

इसके अलावा, SCSS का ब्याज हर तिमाही मिलता है। अगर आपको इस पैसे की तुरंत जरूरत नहीं है, तो इसे रिकरिंग डिपॉजिट (RD) में निवेश करें। इससे आपको चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ मिलेगा। उदाहरण के लिए, अगर आप ₹30 लाख निवेश करते हैं, तो आपको हर महीने लगभग ₹20,500 का ब्याज मिलेगा, जो आपकी नियमित आय का शानदार स्रोत हो सकता है।

महत्वपूर्ण सलाह 

कुछ जरूरी बातें ध्यान रखें:

  • हमेशा नॉमिनी नियुक्त करें और अपनी वसीयत में SCSS खाते का उल्लेख करें।

  • खाता खोलने के लिए जरूरी दस्तावेज़ जैसे आधार, पैन, फोटो, और पता प्रमाण तैयार रखें।

  • अगर आप डिफेंस से हैं या जल्दी रिटायर हुए हैं, तो संबंधित प्रमाण पत्र जमा करें।

  • अगर आप पुराने टैक्स रिजीम में हैं, तो आपको सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट भी मिल सकती है।

निष्कर्ष और कॉल टू एक्शन

तो दोस्तों, ये थे SCSS के तीन बड़े बदलाव, जो आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। अगर आपके मन में कोई सवाल है या आपने SCSS में निवेश किया है, तो अपनी कहानी कमेंट सेक्शन में जरूर शेयर करें। इस वीडियो को लाइक करें, अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें, और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें। अगली बार फिर मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ। तब तक, स्मार्ट निवेश करें और सुरक्षित रहें!

  • डिस्क्लेमर: यह वीडियो केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। व्यक्तिगत सलाह के लिए अपने वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें।

TAX REBATE ON CAPITAL GAIN U/S 87A @TaxGuruji Digital on End of Controversy for Asst. Year 2024-25 & 2025-26?

 

नमस्ते दोस्तों! स्वागत है हमारे चैनल पर! आज हम एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जो हर टैक्सपेयर के लिए महत्वपूर्ण है – टैक्स रिबेट और पूंजीगत लाभ। खासकर, हम सेक्शन 87ए के तहत रिबेट पर चर्चा करेंगे, जो पिछले कुछ सालों में काफी विवाद का कारण बना है। यह एक ऐसी बहस है जिसमें टैक्सपेयर्स और टैक्स विभाग आमने-सामने हैं। तो, आइए शुरू करते हैं और इस जटिल मुद्दे को आसान शब्दों में समझते हैं!


समस्या क्या है?

पिछले कुछ सालों में, यानी आकलन वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए, कई टैक्सपेयर्स ने अपनी पूंजीगत लाभ आय – जैसे शेयरों या म्यूचुअल फंड्स से हुए लाभ – पर सेक्शन 87ए के तहत टैक्स रिबेट का दावा किया। लेकिन, टैक्स विभाग ने इन दावों को खारिज कर दिया। क्यों? क्योंकि विभाग का मानना है कि यह रिबेट केवल सामान्य आय पर लागू होता है, न कि विशेष दरों पर कर देय आय पर, जैसे सेक्शन 111ए (शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स) या सेक्शन 112 (लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स)।

  • उदाहरण: मान लीजिए, आपकी कुल आय 7 लाख रुपये है, जिसमें 2 लाख रुपये शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स हैं और 5 लाख रुपये सामान्य आय। सामान्य आय पर कर 10,000 रुपये होगा, और पूंजीगत लाभ पर 15% की दर से 30,000 रुपये। सेक्शन 87ए के तहत रिबेट 25,000 रुपये तक हो सकता है। लेकिन, विभाग कहता है कि रिबेट केवल 10,000 रुपये (सामान्य आय पर कर) पर लागू होगा। क्या यह सही है? आइए इस पर बहस करते हैं।

टैक्सपेयर्स का पक्ष

विशेषज्ञ 1 (टैक्सपेयर्स की तरफ से):
देखिए, सेक्शन 87ए का मकसद साफ है – यह निवासी व्यक्तियों को उनकी आय के आधार पर टैक्स राहत देना। आकलन वर्ष 2024-25 में, अगर आपकी कुल आय 7 लाख रुपये तक थी, तो आप 25,000 रुपये तक का रिबेट दावा कर सकते थे। लेकिन, सवाल यह है कि क्या यह रिबेट पूंजीगत लाभ पर भी लागू होता है?

  • हमारा तर्क: 2024-25 और 2025-26 तक, कानून में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं था कि सेक्शन 87ए का रिबेट पूंजीगत लाभ पर नहीं मिल सकता। वास्तव में, आईटीआर उपयोगिता ने शुरू में टैक्सपेयर्स को यह दावा करने की अनुमति दी थी। इसलिए, जब टैक्सपेयर्स ने यह दावा किया, तो वे पूरी तरह से कानून के दायरे में थे।
  • उदाहरण: अगर आपकी कुल आय 7 लाख रुपये है, जिसमें 2 लाख रुपये पूंजीगत लाभ और 5 लाख रुपये सामान्य आय है, तो आपका कुल कर 40,000 रुपये (10,000 + 30,000) होगा। सेक्शन 87ए के तहत 25,000 रुपये का रिबेट पूरे कर पर लागू होना चाहिए, न कि केवल सामान्य आय पर।

टैक्स विभाग का पक्ष

विशेषज्ञ 2 (टैक्स विभाग की तरफ से):
नहीं, ऐसा नहीं है। सेक्शन 87ए का रिबेट केवल सामान्य दरों पर कर देय आय के लिए है, न कि विशेष दरों पर। पूंजीगत लाभ, जैसे सेक्शन 111ए के तहत शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (15%) या सेक्शन 112 के तहत लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (20%), विशेष दरों पर कर देय होते हैं। इसलिए, इन पर रिबेट लागू नहीं होता।

  • हमारा तर्क: टैक्स विभाग ने हमेशा यह माना है कि सेक्शन 87ए का रिबेट विशेष दरों वाली आय पर नहीं मिलता। यही कारण है कि 5 जुलाई 2024 के बाद, आईटीआर उपयोगिता को अपडेट करके इस तरह के दावों को रोक दिया गया। टैक्सपेयर्स को गलतफहमी हुई, लेकिन कानून की व्याख्या स्पष्ट थी।
  • बॉम्बे हाई कोर्ट: हां, बॉम्बे हाई कोर्ट ने टैक्सपेयर्स को राहत दी और सीबीडीटी को दावा करने की सुविधा खोलने का निर्देश दिया। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि रिबेट देना अनिवार्य था। कई दावे फिर भी खारिज हुए, क्योंकि वे कानून के अनुसार नहीं थे।

बॉम्बे हाई कोर्ट का हस्तक्षेप

इस विवाद को सुलझाने के लिए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिसंबर 2024 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने टैक्सपेयर्स को सेक्शन 87ए के तहत रिबेट दावा करने के लिए समय सीमा 15 जनवरी 2025 तक बढ़ाने का निर्देश दिया। साथ ही, सीबीडीटी को आईटीआर उपयोगिता में इस दावे की सुविधा फिर से खोलने के लिए कहा। लेकिन, इसके बाद भी कई टैक्सपेयर्स के दावे खारिज हुए, जिससे अपील, सुधार, और अन्य कानूनी कदमों की जरूरत पड़ी।

  • प्रश्न: तो, क्या टैक्सपेयर्स को अब भी उम्मीद है? आइए आगे देखते हैं।

फाइनेंस एक्ट 2025: नया नियम

विशेषज्ञ 1:
फाइनेंस एक्ट 2025 ने इस मुद्दे पर एक बड़ा बदलाव किया है। इसने सेक्शन 87ए में एक नया दूसरा प्रोविजो जोड़ा, जो कहता है:

"यह सुनिश्चित किया जाता है कि पहला प्रोविजो के तहत कटौती, सेक्शन 115बीएसी(1ए) की दरों के अनुसार देय आयकर की राशि से अधिक नहीं होगी।"

  • इसका मतलब है कि रिबेट अब केवल सामान्य दरों पर कर देय आय पर लागू होगा, न कि पूंजीगत लाभ जैसी विशेष दरों पर।
  • महत्वपूर्ण: यह बदलाव 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा, यानी आकलन वर्ष 2026-27 से।
  • पुराने वर्षों के लिए: 2024-25 और 2025-26 के लिए, ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था। इसलिए, टैक्सपेयर्स अपने अपील या सुधार में यह तर्क दे सकते हैं कि उस समय रिबेट पूंजीगत लाभ पर भी लागू था।

विशेषज्ञ 2:
सही कहा। फाइनेंस एक्ट 2025 ने भविष्य के लिए नियम स्पष्ट कर दिए हैं। 2026-27 से, पूंजीगत लाभ पर सेक्शन 87ए का रिबेट नहीं मिलेगा। लेकिन, पुराने वर्षों के लिए, टैक्सपेयर्स के पास अभी भी कानूनी आधार है, क्योंकि उस समय कानून में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था। हालांकि, टैक्स विभाग अपनी व्याख्या पर अड़ा रहेगा, इसलिए टैक्सपेयर्स को मजबूत तर्क पेश करने होंगे।


टैक्सपेयर्स के लिए क्या विकल्प हैं?

तो, अगर आप उन टैक्सपेयर्स में से हैं जिनका रिबेट दावा खारिज हुआ है, तो निराश न हों। आपके पास अभी भी कई रास्ते हैं:

  1. अपील दायर करें: अपने मामले को अपील में ले जाएं और तर्क दें कि 2024-25 और 2025-26 में सेक्शन 87ए के तहत कोई प्रतिबंध नहीं था।
  2. सुधार का अनुरोध: टैक्स विभाग से अपने रिटर्न में सुधार की मांग करें, खासकर अगर प्रोसेसिंग में गलती हुई हो।
  3. सेक्शन 264 के तहत राहत: टैक्स आयुक्त से राहत का दावा करें, अगर आपका मामला मजबूत है।
  • उदाहरण: अगर आपका कुल कर 40,000 रुपये था (10,000 सामान्य आय + 30,000 पूंजीगत लाभ), और आपने 25,000 रुपये का रिबेट दावा किया था, तो आप तर्क दे सकते हैं कि उस समय रिबेट पूरे कर पर लागू था। इससे आपका कर केवल 15,000 रुपये रह जाएगा।

विशेषज्ञ 1:
मेरा सुझाव है कि टैक्सपेयर्स फाइनेंस एक्ट 2025 के इस नए प्रोविजो का उपयोग अपने पक्ष में करें। यह दिखाता है कि प्रतिबंध 2026-27 से लागू हुआ, न कि पहले। इसलिए, पुराने वर्षों के लिए आपका दावा वैध है।

विशेषज्ञ 2:
लेकिन, टैक्सपेयर्स को यह भी समझना चाहिए कि टैक्स विभाग अपनी व्याख्या पर कायम रहेगा। इसलिए, एक अनुभवी टैक्स सलाहकार की मदद लेना जरूरी है।


निष्कर्ष और सलाह

तो, दोस्तों, यह थी सेक्शन 87ए और पूंजीगत लाभ पर टैक्स रिबेट की पूरी कहानी। यह एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा है, लेकिन कुछ बातें स्पष्ट हैं:

  • आकलन वर्ष 2024-25 और 2025-26: उस समय कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं था, इसलिए टैक्सपेयर्स रिबेट का दावा कर सकते हैं।
  • आकलन वर्ष 2026-27 से: फाइनेंस एक्ट 2025 के नए प्रोविजो के कारण, पूंजीगत लाभ पर रिबेट नहीं मिलेगा।
  • सलाह: अगर आपका दावा खारिज हुआ है, तो हार न मानें। अपील करें, सुधार का अनुरोध करें, या सेक्शन 264 के तहत राहत मांगें। लेकिन, किसी भी कदम से पहले, एक टैक्स सलाहकार से सलाह लें।

अंत में: टैक्स कानून जटिल हो सकते हैं, लेकिन आपके अधिकार हैं। उनके लिए लड़ें! हमें कमेंट में बताएं कि क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है, और अगर यह वीडियो मददगार लगा, तो लाइक और सब्सक्राइब करना न भूलें। धन्यवाद!


महत्वपूर्ण जानकारी सारणी

विवरण आकलन वर्ष 2024-25 और 2025-26 आकलन वर्ष 2026-27 और उसके बाद
रिबेट सीमा 7 लाख रुपये तक (नया शासन), 5 लाख रुपये तक (पुराना शासन) 12 लाख रुपये तक (नया शासन)
अधिकतम रिबेट 25,000 रुपये (नया शासन), 12,500 रुपये (पुराना शासन) 60,000 रुपये (नया शासन)
पूंजीगत लाभ पर रिबेट संभव (कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं) नहीं (नया प्रोविजो लागू)
कानूनी आधार बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला, कोई प्रतिबंध नहीं फाइनेंस एक्ट 2025 का दूसरा प्रोविजो

आयकर रिटर्न फाइलिंग की नई तारीखें और नियम असेसमेंट वर्ष 2025-26 के लिए: एक व्यापक गाइड

 आयकर रिटर्न फाइलिंग की नई तारीखें और नियम असेसमेंट वर्ष 2025-26 के लिए: एक व्यापक गाइड

1 अप्रैल 2025 से, भारतीय सरकार ने असेसमेंट वर्ष (AY) 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइलिंग की समयसीमा और नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो वित्तीय वर्ष (FY) 2024-25 से संबंधित हैं। इन बदलावों का उद्देश्य टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया को सरल बनाना और अनुपालन सुनिश्चित करना है, लेकिन इनके साथ नई समयसीमाएं, संशोधित फाइलिंग विकल्प और देरी पर जुर्माना भी जुड़े हैं। चाहे आप एक वेतनभोगी व्यक्ति हों, व्यवसायी हों, या पिछले गलतियों को सुधारना चाहते हों, इन बदलावों को समझना जरूरी है ताकि भारी जुर्माने से बचा जा सके और टैक्स लाभ को अधिकतम किया जा सके। इस विस्तृत ब्लॉग पोस्ट में, हम मुख्य बिंदुओं को रोचक क्रम में प्रस्तुत करेंगे ताकि आप पूरी तरह से सूचित रहें और कार्रवाई के लिए तैयार हों। चलिए शुरू करते हैं!


# 1. नई ITR फाइलिंग व्यवस्था का परिचय

टैक्स समुदाय में इस बदलाव की खूब चर्चा हो रही है! 1 अप्रैल 2025 से सरकार ने ITR फाइलिंग शेड्यूल को नया रूप दिया है, जो अधिक लचीलापन प्रदान करता है लेकिन सख्त अनुपालन भी सुनिश्चित करता है। अगर आपने अभी तक ITR फाइल नहीं किया है या मूल सबमिशन में कोई गलती की है, तो आपके पास अभी भी विकल्प हैं—लेकिन इसके लिए कुछ कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह ब्लॉग आपको नई समयसीमाओं, संशोधित रिटर्न फाइलिंग विकल्पों और देरी पर लगने वाले जुर्माने के बारे में गाइड करेगा। अंत तक बने रहें ताकि हर बारीकी को समझ सकें और महंगी गलतियों से बच सकें। हमारे WhatsApp चैनल (कमेंट्स में QR कोड और लिंक) और @TAXGURUJI DIGITAL YouTube चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें ताकि नियमित अपडेट मिलते रहें! 


 2. असेसमेंट वर्ष 2025-26 के लिए मूल ITR फाइलिंग की समयसीमा

सबसे महत्वपूर्ण अपडेट से शुरू करते हैं: असेसमेंट वर्ष 2025-26 (वित्तीय वर्ष 2024-25) के लिए मूल ITR फाइलिंग की समयसीमा निम्नलिखित है:


- **गैर-ऑडिट मामले (कोई व्यवसाय आय नहीं या टर्नओवर < ₹1 करोड़):** अगर आपकी आय वेतन, निवेश या अन्य स्रोतों से है और टैक्स ऑडिट की जरूरत नहीं है, तो आपको ITR 31 जुलाई 2025 तक फाइल करना होगा। आप पुरानी टैक्स व्यवस्था (डिडक्शन्स के साथ) या नई टैक्स व्यवस्था (सरल स्लैब के साथ कम डिडक्शन्स) में से चुन सकते हैं, यह आपकी पसंद पर निर्भर करता है।

- **ऑडिट मामले (टर्नओवर ≥ ₹1 करोड़ या व्यवसाय आय के साथ ऑडिट):** अगर आपका व्यवसाय टर्नओवर ₹1 करोड़ से अधिक है या टैक्स ऑडिट की जरूरत है, तो समयसीमा 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ जाती है।


लेकिन इसमें एक पेंच है! आपकी टैक्स व्यवस्था का चयन पिछले साल के निर्णय पर निर्भर करता है:

- अगर आपने पिछले साल पुरानी व्यवस्था चुनी और बाहर निकल गए, तो आपको AY 2025-26 के लिए भी पुरानी व्यवस्था में ही रिटर्न फाइल करना होगा, जब तक कि आप इनकम टैक्स पोर्टल पर फॉर्म 10 IE-A फाइल करके नई व्यवस्था में वापस नहीं आते। ध्यान दें: नई व्यवस्था में स्विच एक बार का विकल्प है—एक बार चयन करने के बाद आप पुरानी व्यवस्था में वापस नहीं जा सकते।

- अगर आप पिछले साल नई व्यवस्था में थे, तो आप उसी को जारी रख सकते हैं या फॉर्म 10 IE-A फाइल करके पुरानी व्यवस्था चुन सकते हैं, बशर्ते समयसीमा से पहले फॉर्म जमा कर दें।


यह लचीलापन एक बड़ा बदलाव है, लेकिन सावधानीपूर्वक योजना की जरूरत है। समयसीमा चूकने या गलत व्यवस्था चुनने से अधिक टैक्स या जुर्माना लग सकता है, तो आइए देखें कि अगर आप इन तारीखों को मिस कर दें तो क्या विकल्प हैं।


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#### 3. संशोधित ITR: समय पर की गई गलतियों को सुधारें

मूल ITR में गलती हो गई? घबराएं नहीं! आप संशोधित ITR फाइल करके गलतियों को ठीक कर सकते हैं, और नई नियमावली आपको पर्याप्त समय देती है:

- **समयसीमा:** आप 31 दिसंबर 2025 तक अपने ITR को संशोधित कर सकते हैं, चाहे आपने 31 जुलाई 2025 (गैर-ऑडिट मामले) या 31 अक्टूबर 2025 (ऑडिट मामले) तक रिटर्न फाइल किया हो।

- **लागत:** सबसे अच्छी बात? इस अवधि के भीतर संशोधन पर कोई जुर्माना या अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता। यह उन लोगों के लिए एक राहत है जो गलती से आय छोड़ देते हैं या गलत डिडक्शन्स क्लेम करते हैं।


हालांकि, अगर आप 31 दिसंबर 2025 की समयसीमा मिस कर देते हैं, तो संशोधन पर शुल्क लगेगा, जिसे हम बाद में चर्चा करेंगे। यह प्रावधान तुरंत गलतियों को ठीक करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे प्रक्रिया करदाता के लिए अधिक अनुकूल हो जाती है।


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#### 4. विलंबित रिटर्न फाइलिंग: अगर मूल समयसीमा चूक जाए तो क्या करें?

जीवन व्यस्त हो जाता है, और कभी-कभी 31 जुलाई या 31 अक्टूबर की समयसीमा मिस हो जाती है। चिंता न करें—विलंबित रिटर्न के साथ एक रास्ता है:

- **समयसीमा:** आप 31 दिसंबर 2025 तक विलंबित ITR फाइल कर सकते हैं।

- **प्रतिबंध:** मूल फाइलिंग के विपरीत, विलंबित रिटर्न आपको नई टैक्स व्यवस्था में बांध देता है। आप पुरानी व्यवस्था के साथ डिडक्शन्स का विकल्प नहीं चुन सकते।

- **विलंब शुल्क:** जुर्माना आपकी कुल आय पर निर्भर करता है:

  - अगर आपकी कुल आय ₹5 लाख तक है, तो आपको ₹1,000 का विलंब शुल्क देना होगा।

  - अगर आपकी कुल आय ₹5 लाख से अधिक है, तो विलंब शुल्क बढ़कर ₹5,000 हो जाता है।


“कुल आय” की गणना नई व्यवस्था में बदल गई है। पहले, मानक कटौती (₹50,000) या बीमा प्रीमियम जैसे डिडक्शन्स आपकी करयोग्य आय को कम करते थे। अब, नई व्यवस्था में ₹75,000 की मानक कटौती के साथ, आपकी सकल आय आपको उच्च विलंब शुल्क श्रेणी में धकेल सकती है। उदाहरण के लिए, ₹6.5 लाख की सैलरी पर ₹75,000 की कटौती के बाद भी आय ₹5 लाख से अधिक रहती है, जिससे ₹5,000 का शुल्क लगता है। यह समय पर फाइलिंग की अहमियत को रेखांकित करता है ताकि ये लागतें टाली जा सकें।


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#### 5. अद्यतन रिटर्न फाइलिंग: पिछले ओवरसाइट्स को ठीक करें

अगर आपने पिछले वर्षों के लिए रिटर्न फाइल नहीं किए, तो क्या करें? सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से अद्यतन रिटर्न फाइलिंग के लिए नई तारीखें पेश की हैं:

- **पात्रता:** आप पिछले चार असेसमेंट वर्षों (AY 2022-23 से AY 2025-26) के लिए अद्यतन रिटर्न फाइल कर सकते हैं, बशर्ते संबंधित असेसमेंट वर्ष खत्म होने के बाद तीन साल के भीतर फाइल करें।

- **समयसीमाएं और अतिरिक्त कर:**

  - AY 2022-23 (FY 2021-22) के लिए, अगर आप मूल समयसीमा मिस कर गए, तो आप 31 मार्च 2025 तक 25% अतिरिक्त कर के साथ फाइल कर सकते थे। चूंकि वह तारीख बीत गई, अब आप 31 मार्च 2026 तक 60% अतिरिक्त कर या 31 मार्च 2027 तक 70% अतिरिक्त कर के साथ फाइल कर सकते हैं।

  - AY 2023-24 (FY 2022-23) के लिए, अद्यतन रिटर्न की समयसीमा 31 मार्च 2026 (50% अतिरिक्त कर) या 31 मार्च 2027 (60%) है, और इसी तरह आगे बढ़ता है।

  - AY 2024-25 (FY 2023-24) के लिए, आप 31 मार्च 2026 तक 25% अतिरिक्त कर के साथ फाइल कर सकते हैं।

- **सीमाएं:** आप अद्यतन रिटर्न में रिफंड क्लेम नहीं कर सकते या नुकसान दर्ज नहीं कर सकते, और एक बार फाइल करने के बाद इसे संशोधित या फिर से फाइल नहीं कर सकते। आयकर विभाग इन रिटर्न को फाइलिंग के वित्तीय वर्ष के अंत से 12 महीने के भीतर प्रोसेस करता है।


यह प्रावधान एक दोधारी तलवार है। यह आपको पिछले गलतियों को ठीक करने का मौका देता है, लेकिन बढ़ते अतिरिक्त कर (25% से 70%) समय पर फाइलिंग को प्रोत्साहित करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपका कर दायित्व ₹1 लाख है, तो AY 2022-23 के लिए 31 मार्च 2026 तक फाइल करने पर आपको ₹1.6 लाख चुकाने होंगे। योजना बनाएं!


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#### 6. प्रमुख takeaways और कार्रवाई योजना

AY 2025-26 के लिए नई ITR फाइलिंग नियमावली दोनों अवसर और चुनौतियां लाती है। यहाँ एक त्वरित सारांश है:

- मूल ITR को 31 जुलाई 2025 (गैर-ऑडिट) या 31 अक्टूबर 2025 (ऑडिट) तक फाइल करें ताकि जुर्माने से बचा जा सके।

- गलतियों को 31 दिसंबर 2025 तक बिना अतिरिक्त लागत के संशोधित करें।

- विलंबित रिटर्न को 31 दिसंबर 2025 तक फाइल करें, लेकिन आय के आधार पर ₹1,000 या ₹5,000 का विलंब शुल्क दें।

- पिछले रिटर्न को तीन साल के भीतर अद्यतन करें, जिसमें देरी के अनुसार 25% से 70% अतिरिक्त कर देना होगा।


संदेश स्पष्ट है: समय पर फाइलिंग पैसे और तनाव बचाती है। अगर आपने पिछली समयसीमाएं मिस की हैं, तो जल्दी कार्रवाई करें ताकि अतिरिक्त लागत कम हो। आयकर विभाग अद्यतन रिटर्न पर समयसीमा के भीतर कोई जुर्माना नहीं लगाएगा, लेकिन इसके बाद नोटिस जारी हो सकते हैं।


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#### 7. सूचित रहें और जुड़ें

ये बदलाव तो बस शुरुआत हैं! टैक्स परिदृश्य लगातार बदलता है, और अपडेटेड रहना आपकी सबसे अच्छी रक्षा है। @TAXGURUJIDIGITAL  YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें, हमारे Telegram ग्रुप (@TAXGURUJIDIGITAL टैक्स) से जुड़ें, और WhatsApp अपडेट्स का पालन करें। इस ब्लॉग को दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें, और अपने सवाल कमेंट्स में पूछें—हम आपकी मदद के लिए हैं!


अंत में, AY 2025-26 के लिए नई ITR फाइलिंग तारीखें और नियम लचीलापन प्रदान करते हैं लेकिन मेहनत की मांग करते हैं। चाहे आप समय पर फाइल करें, गलतियों को सुधारें, या पिछली कमियों को पूरा करें, इन प्रावधानों को समझना अनुपालन और वित्तीय शांति सुनिश्चित करता है। अपने कैलेंडर चिह्नित करें, समझदारी से फाइल करें, और इस टैक्स सीजन को एक साथ नेविगेट करें!

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New Income Tax Return Filing Dates and Rules for Assessment Year 2025-26: A Comprehensive Guide

New Income Tax Return Filing Dates and Rules for Assessment Year 2025-26: A Comprehensive Guide


As of April 1, 2025, the Indian government has introduced significant changes to the income tax return (ITR) filing deadlines and regulations for the Assessment Year (AY) 2025-26, corresponding to the Financial Year (FY) 2024-25. These updates, aimed at streamlining the tax filing process and ensuring compliance, come with new deadlines, revised options for filing, and penalties for late submissions. Whether you're a salaried individual, a business owner, or someone looking to rectify past mistakes, understanding these changes is crucial to avoid hefty fines and maximize your tax benefits. In this detailed blog post, we’ll break down the key points in an engaging sequence, ensuring you’re well-informed and ready to take action. Let’s dive in !




1. Introduction to the New ITR Filing Regime

The buzz around the tax community is real! Starting April 1, 2025, the government has revamped the ITR filing schedule to provide more flexibility while enforcing stricter compliance. If you haven’t filed your ITR yet or made an error in your original submission, you still have options—but they come with a cost. This blog will guide you through the new due dates, revised return filing options, and the penalties you might face. Stay tuned until the end to grasp every nuance and avoid costly mistakes. Don’t forget to subscribe to our WhatsApp channel (QR code and link in the comments) and the @TAX GURU JI DIGITAL YouTube channel for regular updates!



2. Original ITR Filing Deadlines for AY 2025-26

Let’s kick off with the most critical update: the deadline for filing your original ITR. For the Assessment Year 2025-26 (FY 2024-25), the government has set the following key dates:


- **Non-Audit Cases (No Business Income or Turnover < ₹1 Crore):** If your income is from salary, investments, or other sources and doesn’t require a tax audit, you must file your ITR by **July 31, 2025**. You can choose between the old tax regime (with deductions) or the new tax regime (simpler slabs with fewer deductions), depending on your preference.

- **Audit Cases (Turnover ≥ ₹1 Crore or Business Income with Audit):** If your business turnover exceeds ₹1 crore or requires a tax audit, the deadline extends to **October 31, 2025**.


However, there’s a catch! Your choice of tax regime depends on your previous year’s decision:

- If you opted for the old regime last year and switched out, you’re locked into the old regime for AY 2025-26 unless you file Form 10 IE-A on the income tax portal to switch back to the new regime. Note: This switch to the new regime is a one-time option—once you commit, you can’t revert to the old regime later.

- If you were on the new regime last year, you can either continue with it or opt for the old regime by filing Form 10 IE-A before the due date.


This flexibility is a game-changer, but it requires careful planning. Missing the deadline or choosing the wrong regime could lead to higher taxes or penalties, so let’s explore your options if you miss these dates.


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3. Revised ITR: Correcting Mistakes Made in Time

Made an error in your original ITR? Don’t panic! You can file a revised ITR to correct mistakes, and the new rules give you a generous window:

- **Deadline:** You can revise your ITR until **December 31, 2025**, whether you filed by July 31, 2025 (non-audit cases) or October 31, 2025 (audit cases).

- **Cost:** The best part? There’s no penalty or additional charge for revising your return within this period. This provision is a lifeline for those who accidentally omit income or claim incorrect deductions.


However, if you miss the December 31, 2025, deadline, revising your ITR will incur charges, which we’ll discuss later. This change encourages taxpayers to rectify errors promptly without financial burden, making the process more taxpayer-friendly.


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4. Belated Return Filing: What Happens If You Miss the Original Deadline?

Life gets busy, and sometimes you miss the July 31 or October 31 deadlines. Don’t worry—there’s still a way out with a belated return:

- **Deadline:** You can file a belated ITR until **December 31, 2025**.

- **Restrictions:** Unlike the original filing, belated returns lock you into the new tax regime. You cannot opt for the old regime with its deductions.

- **Late Fees:** The penalty depends on your total income:

  - If your total income is up to ₹5 lakh, you’ll pay a late fee of **₹1,000**.

  - If your total income exceeds ₹5 lakh, the late fee jumps to **₹5,000**.


The calculation of “total income” has shifted under the new regime. Previously, deductions like standard deduction (₹50,000) or insurance premiums reduced your taxable income. Now, with the new regime offering a standard deduction of ₹75,000, your gross income might push you into the higher late fee bracket. For example, a salary of ₹6.5 lakh with a ₹75,000 deduction still exceeds ₹5 lakh, triggering the ₹5,000 fee. This underscores the importance of filing on time to avoid these costs.


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 5. Updated Return Filing: Addressing Past Oversights

What if you missed filing returns for previous years? The government has introduced updated return filing with new dates effective April 1, 2025:

- **Eligibility:** You can file updated returns for the last four assessment years (AY 2022-23 to AY 2025-26) after the relevant assessment year ends, but within three years from the end of the financial year in which the original return was due.

- **Deadlines and Additional Tax:**

  - For AY 2022-23 (FY 2021-22), if you missed the original deadline, you could have filed by March 31, 2025, with a 25% additional tax. Since that date has passed, you can now file by March 31, 2026, with a 60% additional tax, or by March 31, 2027, with a 70% additional tax.

  - For AY 2023-24 (FY 2022-23), the updated return deadline is March 31, 2026 (50% additional tax) or March 31, 2027 (60%), and so on.

  - For AY 2024-25 (FY 2023-24), you can file by March 31, 2026, with a 25% additional tax if filed soon after the deadline.

- **Limitations:** You cannot claim refunds or report losses in updated returns, and once filed, you can’t revise or refile them. The income tax department processes these returns within 12 months from the end of the financial year of filing.


This provision is a double-edged sword. It allows you to correct past mistakes, but the escalating additional tax (25% to 70%) incentivizes timely filing. For instance, if your tax liability is ₹1 lakh, filing late for AY 2022-23 by March 31, 2026, will cost you ₹1.6 lakh. Plan accordingly!


6. Key Takeaways and Action Plan

The new ITR filing rules for AY 2025-26 bring both opportunities and challenges. Here’s a quick recap:

- File your original ITR by **July 31, 2025** (non-audit) or **October 31, 2025** (audit) to avoid penalties.

- Revise errors by **December 31, 2025** at no extra cost.

- File belated returns by **December 31, 2025**, but expect late fees of ₹1,000 or ₹5,000 based on income.

- Update past returns within three years, paying 25% to 70% additional tax depending on the delay.


The message is clear: timely filing saves money and stress. If you’ve missed past deadlines, act quickly to minimize additional costs. The income tax department won’t issue penalties for updated returns if filed within the stipulated time, but delays beyond that could trigger notices.


 7. Stay Informed and Engage

These changes are just the beginning! The tax landscape evolves, and staying updated is your best defense. Subscribe to the @TAXGURUJI DIGITAL and follow our WhatsApp updates for the latest on income tax, GST, and more. Share this blog with friends and family to spread awareness, and drop your questions in the comments—we’re here to help!


In conclusion, the new ITR filing dates and rules for AY 2025-26 offer flexibility but demand diligence. Whether you’re filing on time, revising errors, or catching up on past years, understanding these provisions ensures compliance and financial peace of mind. Mark your calendars, file smart, and let’s navigate this tax season together!


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