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TAX REBATE ON CAPITAL GAIN U/S 87A @TaxGuruji Digital on End of Controversy for Asst. Year 2024-25 & 2025-26?

 

नमस्ते दोस्तों! स्वागत है हमारे चैनल पर! आज हम एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जो हर टैक्सपेयर के लिए महत्वपूर्ण है – टैक्स रिबेट और पूंजीगत लाभ। खासकर, हम सेक्शन 87ए के तहत रिबेट पर चर्चा करेंगे, जो पिछले कुछ सालों में काफी विवाद का कारण बना है। यह एक ऐसी बहस है जिसमें टैक्सपेयर्स और टैक्स विभाग आमने-सामने हैं। तो, आइए शुरू करते हैं और इस जटिल मुद्दे को आसान शब्दों में समझते हैं!


समस्या क्या है?

पिछले कुछ सालों में, यानी आकलन वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए, कई टैक्सपेयर्स ने अपनी पूंजीगत लाभ आय – जैसे शेयरों या म्यूचुअल फंड्स से हुए लाभ – पर सेक्शन 87ए के तहत टैक्स रिबेट का दावा किया। लेकिन, टैक्स विभाग ने इन दावों को खारिज कर दिया। क्यों? क्योंकि विभाग का मानना है कि यह रिबेट केवल सामान्य आय पर लागू होता है, न कि विशेष दरों पर कर देय आय पर, जैसे सेक्शन 111ए (शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स) या सेक्शन 112 (लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स)।

  • उदाहरण: मान लीजिए, आपकी कुल आय 7 लाख रुपये है, जिसमें 2 लाख रुपये शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स हैं और 5 लाख रुपये सामान्य आय। सामान्य आय पर कर 10,000 रुपये होगा, और पूंजीगत लाभ पर 15% की दर से 30,000 रुपये। सेक्शन 87ए के तहत रिबेट 25,000 रुपये तक हो सकता है। लेकिन, विभाग कहता है कि रिबेट केवल 10,000 रुपये (सामान्य आय पर कर) पर लागू होगा। क्या यह सही है? आइए इस पर बहस करते हैं।

टैक्सपेयर्स का पक्ष

विशेषज्ञ 1 (टैक्सपेयर्स की तरफ से):
देखिए, सेक्शन 87ए का मकसद साफ है – यह निवासी व्यक्तियों को उनकी आय के आधार पर टैक्स राहत देना। आकलन वर्ष 2024-25 में, अगर आपकी कुल आय 7 लाख रुपये तक थी, तो आप 25,000 रुपये तक का रिबेट दावा कर सकते थे। लेकिन, सवाल यह है कि क्या यह रिबेट पूंजीगत लाभ पर भी लागू होता है?

  • हमारा तर्क: 2024-25 और 2025-26 तक, कानून में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं था कि सेक्शन 87ए का रिबेट पूंजीगत लाभ पर नहीं मिल सकता। वास्तव में, आईटीआर उपयोगिता ने शुरू में टैक्सपेयर्स को यह दावा करने की अनुमति दी थी। इसलिए, जब टैक्सपेयर्स ने यह दावा किया, तो वे पूरी तरह से कानून के दायरे में थे।
  • उदाहरण: अगर आपकी कुल आय 7 लाख रुपये है, जिसमें 2 लाख रुपये पूंजीगत लाभ और 5 लाख रुपये सामान्य आय है, तो आपका कुल कर 40,000 रुपये (10,000 + 30,000) होगा। सेक्शन 87ए के तहत 25,000 रुपये का रिबेट पूरे कर पर लागू होना चाहिए, न कि केवल सामान्य आय पर।

टैक्स विभाग का पक्ष

विशेषज्ञ 2 (टैक्स विभाग की तरफ से):
नहीं, ऐसा नहीं है। सेक्शन 87ए का रिबेट केवल सामान्य दरों पर कर देय आय के लिए है, न कि विशेष दरों पर। पूंजीगत लाभ, जैसे सेक्शन 111ए के तहत शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (15%) या सेक्शन 112 के तहत लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (20%), विशेष दरों पर कर देय होते हैं। इसलिए, इन पर रिबेट लागू नहीं होता।

  • हमारा तर्क: टैक्स विभाग ने हमेशा यह माना है कि सेक्शन 87ए का रिबेट विशेष दरों वाली आय पर नहीं मिलता। यही कारण है कि 5 जुलाई 2024 के बाद, आईटीआर उपयोगिता को अपडेट करके इस तरह के दावों को रोक दिया गया। टैक्सपेयर्स को गलतफहमी हुई, लेकिन कानून की व्याख्या स्पष्ट थी।
  • बॉम्बे हाई कोर्ट: हां, बॉम्बे हाई कोर्ट ने टैक्सपेयर्स को राहत दी और सीबीडीटी को दावा करने की सुविधा खोलने का निर्देश दिया। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि रिबेट देना अनिवार्य था। कई दावे फिर भी खारिज हुए, क्योंकि वे कानून के अनुसार नहीं थे।

बॉम्बे हाई कोर्ट का हस्तक्षेप

इस विवाद को सुलझाने के लिए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिसंबर 2024 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने टैक्सपेयर्स को सेक्शन 87ए के तहत रिबेट दावा करने के लिए समय सीमा 15 जनवरी 2025 तक बढ़ाने का निर्देश दिया। साथ ही, सीबीडीटी को आईटीआर उपयोगिता में इस दावे की सुविधा फिर से खोलने के लिए कहा। लेकिन, इसके बाद भी कई टैक्सपेयर्स के दावे खारिज हुए, जिससे अपील, सुधार, और अन्य कानूनी कदमों की जरूरत पड़ी।

  • प्रश्न: तो, क्या टैक्सपेयर्स को अब भी उम्मीद है? आइए आगे देखते हैं।

फाइनेंस एक्ट 2025: नया नियम

विशेषज्ञ 1:
फाइनेंस एक्ट 2025 ने इस मुद्दे पर एक बड़ा बदलाव किया है। इसने सेक्शन 87ए में एक नया दूसरा प्रोविजो जोड़ा, जो कहता है:

"यह सुनिश्चित किया जाता है कि पहला प्रोविजो के तहत कटौती, सेक्शन 115बीएसी(1ए) की दरों के अनुसार देय आयकर की राशि से अधिक नहीं होगी।"

  • इसका मतलब है कि रिबेट अब केवल सामान्य दरों पर कर देय आय पर लागू होगा, न कि पूंजीगत लाभ जैसी विशेष दरों पर।
  • महत्वपूर्ण: यह बदलाव 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा, यानी आकलन वर्ष 2026-27 से।
  • पुराने वर्षों के लिए: 2024-25 और 2025-26 के लिए, ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था। इसलिए, टैक्सपेयर्स अपने अपील या सुधार में यह तर्क दे सकते हैं कि उस समय रिबेट पूंजीगत लाभ पर भी लागू था।

विशेषज्ञ 2:
सही कहा। फाइनेंस एक्ट 2025 ने भविष्य के लिए नियम स्पष्ट कर दिए हैं। 2026-27 से, पूंजीगत लाभ पर सेक्शन 87ए का रिबेट नहीं मिलेगा। लेकिन, पुराने वर्षों के लिए, टैक्सपेयर्स के पास अभी भी कानूनी आधार है, क्योंकि उस समय कानून में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था। हालांकि, टैक्स विभाग अपनी व्याख्या पर अड़ा रहेगा, इसलिए टैक्सपेयर्स को मजबूत तर्क पेश करने होंगे।


टैक्सपेयर्स के लिए क्या विकल्प हैं?

तो, अगर आप उन टैक्सपेयर्स में से हैं जिनका रिबेट दावा खारिज हुआ है, तो निराश न हों। आपके पास अभी भी कई रास्ते हैं:

  1. अपील दायर करें: अपने मामले को अपील में ले जाएं और तर्क दें कि 2024-25 और 2025-26 में सेक्शन 87ए के तहत कोई प्रतिबंध नहीं था।
  2. सुधार का अनुरोध: टैक्स विभाग से अपने रिटर्न में सुधार की मांग करें, खासकर अगर प्रोसेसिंग में गलती हुई हो।
  3. सेक्शन 264 के तहत राहत: टैक्स आयुक्त से राहत का दावा करें, अगर आपका मामला मजबूत है।
  • उदाहरण: अगर आपका कुल कर 40,000 रुपये था (10,000 सामान्य आय + 30,000 पूंजीगत लाभ), और आपने 25,000 रुपये का रिबेट दावा किया था, तो आप तर्क दे सकते हैं कि उस समय रिबेट पूरे कर पर लागू था। इससे आपका कर केवल 15,000 रुपये रह जाएगा।

विशेषज्ञ 1:
मेरा सुझाव है कि टैक्सपेयर्स फाइनेंस एक्ट 2025 के इस नए प्रोविजो का उपयोग अपने पक्ष में करें। यह दिखाता है कि प्रतिबंध 2026-27 से लागू हुआ, न कि पहले। इसलिए, पुराने वर्षों के लिए आपका दावा वैध है।

विशेषज्ञ 2:
लेकिन, टैक्सपेयर्स को यह भी समझना चाहिए कि टैक्स विभाग अपनी व्याख्या पर कायम रहेगा। इसलिए, एक अनुभवी टैक्स सलाहकार की मदद लेना जरूरी है।


निष्कर्ष और सलाह

तो, दोस्तों, यह थी सेक्शन 87ए और पूंजीगत लाभ पर टैक्स रिबेट की पूरी कहानी। यह एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा है, लेकिन कुछ बातें स्पष्ट हैं:

  • आकलन वर्ष 2024-25 और 2025-26: उस समय कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं था, इसलिए टैक्सपेयर्स रिबेट का दावा कर सकते हैं।
  • आकलन वर्ष 2026-27 से: फाइनेंस एक्ट 2025 के नए प्रोविजो के कारण, पूंजीगत लाभ पर रिबेट नहीं मिलेगा।
  • सलाह: अगर आपका दावा खारिज हुआ है, तो हार न मानें। अपील करें, सुधार का अनुरोध करें, या सेक्शन 264 के तहत राहत मांगें। लेकिन, किसी भी कदम से पहले, एक टैक्स सलाहकार से सलाह लें।

अंत में: टैक्स कानून जटिल हो सकते हैं, लेकिन आपके अधिकार हैं। उनके लिए लड़ें! हमें कमेंट में बताएं कि क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है, और अगर यह वीडियो मददगार लगा, तो लाइक और सब्सक्राइब करना न भूलें। धन्यवाद!


महत्वपूर्ण जानकारी सारणी

विवरण आकलन वर्ष 2024-25 और 2025-26 आकलन वर्ष 2026-27 और उसके बाद
रिबेट सीमा 7 लाख रुपये तक (नया शासन), 5 लाख रुपये तक (पुराना शासन) 12 लाख रुपये तक (नया शासन)
अधिकतम रिबेट 25,000 रुपये (नया शासन), 12,500 रुपये (पुराना शासन) 60,000 रुपये (नया शासन)
पूंजीगत लाभ पर रिबेट संभव (कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं) नहीं (नया प्रोविजो लागू)
कानूनी आधार बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला, कोई प्रतिबंध नहीं फाइनेंस एक्ट 2025 का दूसरा प्रोविजो

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