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I.T.R.-1 फॉर्म के बदलाव (आकलन वर्ष 2025-26)

परिचय

आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आईटीआर-1 (सहज) फॉर्म में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो व्यक्तिगत करदाताओं के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। ये बदलाव कुछ करदाताओं के लिए प्रक्रिया को सरल बनाते हैं, लेकिन कुछ नए नियमों के कारण अतिरिक्त तैयारी की आवश्यकता हो सकती है। यह विस्तृत विश्लेषण आपको सभी प्रमुख बदलावों को समझने में मदद करेगा, ताकि आप अपनी फाइलिंग सही और समय पर कर सकें।

प्रमुख बदलावों का अवलोकन

नीचे आईटीआर-1 फॉर्म में हुए प्रमुख बदलावों की सूची दी गई है, जिन्हें सरल और संक्षिप्त रूप में समझाया गया है। प्रत्येक बदलाव के महत्व और उसके प्रभाव को भी बताया गया है।

बदलावविवरणप्रभाव
आधार नंबर अनिवार्यअब केवल वैध आधार नंबर वाले ही आईटीआर-1 फाइल कर सकते हैं। आधार एनरोलमेंट नंबर का विकल्प हटा दिया गया है।जिनके पास आधार नंबर नहीं है, उन्हें फाइलिंग से पहले आधार प्राप्त करना होगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG)सेक्शन 112A के तहत ₹1.25 लाख तक के LTCG को आईटीआर-1 में छूट वाली आय के रूप में दिखाया जा सकता है।छोटे निवेशकों के लिए राहत, लेकिन अधिक गेन्स या शॉर्ट टर्म गेन्स के लिए आईटीआर-2 जरूरी।
टैक्स रिजीम का चुनावनया टैक्स रिजीम डिफॉल्ट है; पुराने रिजीम के लिए “हाँ” चुनना होगा।डिडक्शंस चाहने वालों को पुराना रिजीम चुनना होगा।
विस्तृत डिडक्शंसपुराने रिजीम में 80C, 80D आदि के लिए ड्रॉपडाउन लिस्ट्स में विस्तृत जानकारी देनी होगी।सटीकता बढ़ेगी, लेकिन समय और मेहनत ज्यादा लगेगी।
बैंक अकाउंट्स की जानकारीसभी भारतीय बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स (IFSC, अकाउंट नंबर, प्रकार) देनी होंगी।रिफंड और वेरिफिकेशन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
TDS शेड्यूलअब डिटेल्ड TDS शेड्यूल भरना होगा, जिसमें डिडक्टर, टैन, और राशि की जानकारी देनी होगी।TDS की सटीक रिपोर्टिंग सुनिश्चित होगी।

बदलावों का विस्तृत विश्लेषण

  1. आधार नंबर की अनिवार्यता
    पहले, जिन करदाताओं ने आधार के लिए एनरोलमेंट कराया था लेकिन उन्हें आधार नंबर नहीं मिला था, वे अपने एनरोलमेंट नंबर का उपयोग करके आईटीआर-1 फाइल कर सकते थे। अब यह विकल्प हटा दिया गया है, जिसका मतलब है कि केवल वैध आधार नंबर वाले ही इस फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं। यह बदलाव आधार को टैक्स फाइलिंग से जोड़ने की दिशा में एक कदम है, लेकिन जिनके पास आधार नहीं है, उन्हें फाइलिंग से पहले इसे प्राप्त करना होगा। सलाह: फाइलिंग शुरू करने से पहले अपने आधार नंबर की उपलब्धता और सत्यापन सुनिश्चित करें।
  2. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) की शामिलता
    एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब सेक्शन 112A के तहत ₹1.25 लाख तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स को आईटीआर-1 में छूट वाली आय के रूप में रिपोर्ट किया जा सकता है। सेक्शन 112A उन लॉन्ग टर्म गेन्स को कवर करता है जो लिस्टेड इक्विटी शेयरों या इक्विटी-ओरिएंटेड फंड्स से प्राप्त होते हैं, जिन पर सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) लागू होता है। पहले, किसी भी प्रकार के कैपिटल गेन्स (लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म) होने पर करदाताओं को आईटीआर-2 फाइल करना पड़ता था, जो अधिक जटिल है। यह नया नियम छोटे निवेशकों के लिए राहत लेकर आया है, जो अब सरल आईटीआर-1 फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं।
    ध्यान देने योग्य बातें:
    • अगर LTCG ₹1.25 लाख से अधिक है, तो आपको आईटीआर-2 फाइल करना होगा।
    • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स होने पर भी आईटीआर-2 अनिवार्य है।
    • अगर आपके पास कैपिटल लॉस है जिसे आप आगे कैरी फॉरवर्ड करना चाहते हैं, तो आईटीआर-1 उपयुक्त नहीं है; इसके लिए भी आईटीआर-2 फाइल करें।

  3. टैक्स रिजीम का चयन
    नया टैक्स रिजीम अब डिफॉल्ट है, जिसके तहत कम टैक्स रेट्स हैं लेकिन डिडक्शंस (जैसे 80C, 80D) उपलब्ध नहीं हैं। अगर आप पुराने टैक्स रिजीम का चयन करना चाहते हैं, जिसमें डिडक्शंस का लाभ मिलता है, तो आपको फॉर्म में “Do you wish to exercise the option under Section 115BAC of opting out of new tax regime?” के तहत “हाँ” चुनना होगा। यह विकल्प आपकी आय और डिडक्शंस के आधार पर महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास PPF, LIC, या मेडिकल इंश्योरेंस जैसे निवेश हैं, तो पुराना रिजीम आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। Income Tax Department के अनुसार, यह विकल्प हर साल चुना जा सकता है, बशर्ते आपकी आय व्यवसाय या पेशे से न हो।
  4. डिडक्शंस में विस्तृत जानकारी
    पुराने टैक्स रिजीम का चयन करने वालों के लिए, डिडक्शंस की जानकारी अब ड्रॉपडाउन लिस्ट्स के माध्यम से देनी होगी। उदाहरण के लिए:
    • सेक्शन 80C: PPF, LIC, ELSS, NSC, या सुकन्या समृद्धि योजना जैसे निवेशों की डिटेल्स।
    • सेक्शन 80D: मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम की जानकारी।
    • अन्य सेक्शंस: 80G (दान), 80E (शिक्षा ऋण ब्याज), आदि।
      यह नया सिस्टम सुनिश्चित करता है कि करदाता सही डिडक्शंस का दावा करें, लेकिन इसके लिए अधिक विस्तृत जानकारी और समय की आवश्यकता होगी।

    •  बैंक अकाउंट्स की जानकारी
  5. अब करदाताओं को अपने सभी भारतीय बैंक अकाउंट्स की पूरी जानकारी देनी होगी, जिसमें शामिल हैं:
    • IFSC कोड
    • बैंक का नाम
    • अकाउंट नंबर
    • अकाउंट का प्रकार (सेविंग्स या करंट)
      यह जानकारी रिफंड प्रक्रिया को सुचारू बनाने और आयकर विभाग को करदाता की वित्तीय गतिविधियों का सटीक रिकॉर्ड रखने में मदद करती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई जानकारी छूट न जाए, अपनी बैंक डिटेल्स पहले से तैयार रखें।
  6. TDS शेड्यूल में विस्तार
    पहले, आईटीआर-1 में TDS की जानकारी सीमित थी, जिसमें केवल TDS राशि, डिडक्टर का टैन नंबर, और ग्रॉस राशि देनी होती थी। अब, आईटीआर-2 की तरह, एक विस्तृत TDS शेड्यूल भरना होगा, जिसमें प्रत्येक TDS डिडक्शन के लिए निम्नलिखित जानकारी शामिल होगी:
    • डिडक्टर का नाम
    • टैन नंबर
    • TDS राशि
    • ग्रॉस राशि (कुल प्राप्तियां)
      यह बदलाव TDS की सटीकता बढ़ाता है और गलतियों की संभावना को कम करता है।

अतिरिक्त सलाह

  • कैपिटल लॉस की स्थिति: अगर आपके पास कैपिटल लॉस है जिसे आप भविष्य में समायोजित करना चाहते हैं, तो आईटीआर-1 उपयुक्त नहीं है। इसके लिए आपको आईटीआर-2 फाइल करना होगा, क्योंकि आईटीआर-1 में लॉस की रिपोर्टिंग का प्रावधान नहीं है।
  • AIS की जाँच: फाइलिंग से पहले अपने Annual Information Statement (AIS) की जाँच करें। AIS में आपकी सभी आय (जैसे शेयर बाजार से आय, ब्याज, डिविडेंड) और TDS की जानकारी होती है। यह सुनिश्चित करता है कि आपकी फाइलिंग में कोई त्रुटि न हो।
  • पेशेवर सहायता: अगर आपको नए नियमों को समझने या फाइलिंग में कठिनाई हो रही है, तो TAXGURU JI DIGITAL  टैक्स प्रोफेशनल से संपर्क करें।
  • MOB. NO -08896759615

निष्कर्ष

आईटीआर-1 फॉर्म में हुए ये बदलाव छोटे निवेशकों और सामान्य करदाताओं के लिए कुछ राहत लाते हैं, लेकिन साथ ही अधिक विस्तृत जानकारी देने की आवश्यकता भी बढ़ाते हैं। आधार नंबर, LTCG, डिडक्शंस, और TDS जैसे बदलावों को ध्यान में रखते हुए, अपनी फाइलिंग की तैयारी पहले से करें। सटीकता के लिए Income Tax Department की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी की जाँच करें। टैक्स से जुड़े और अपडेट्स के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और अपने सवाल कमेंट्स में पूछें।


"हेलो दोस्तों, TAXGuruJi DIGITAL ' में आपका स्वागत है! नया फाइनेंसियल ईयर 2025-26 शुरू हो चुका है, और इसके साथ TDS और TCS नियमों में कुछ बड़े बदलाव आए हैं, जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए।  आज हम 7 ऐसे महत्वपूर्ण अपडेट्स की गहराई से चर्चा करेंगे, जो आपके लाखों रुपये बचा सकते हैं और आपकी बुक्स को परफेक्ट रख सकते हैं। ये वीडियो इतना जरूरी है कि आपको इसे अंत तक देखना ही चाहिए। साथ ही, इसे अपने दोस्तों और बिजनेस पार्टनर्स के साथ शेयर करें, सब्सक्राइब बटन दबाएँ, और चलिए शुरू करते हैं!"





*लक्जरी सामान जैसे घड़ियाँ, कार, और यॉट की विजुअल्स*  

"पहला बदलाव बहुत बड़ा है, और ये 2 अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है। अगर आप लक्जरी सामान जैसे कार, महंगी घड़ियाँ, या यॉट खरीदते या बेचते हैं, तो ध्यान दें! सेक्शन 206C(1F) के तहत पहले से ही 10 लाख रुपये से ज्यादा की कारों पर 1% TCS लागू था। लेकिन अब सरकार ने इस दायरे को बढ़ा दिया है और कई नए लक्जरी सामानों को शामिल किया है। ये हैं वो सामान:  

- रिस्ट वॉचेस (महंगी घड़ियाँ)  

- आर्ट पीस, एंटीक पेंटिंग्स, स्कल्पचर्स  

- कलेक्टिबल कॉइन्स और स्टैम्प्स  

- यॉट, बोट्स, हेलीकॉप्टर्स  

- सनग्लासेस, हैंडबैग्स, जूते  

- स्पोर्ट्स गियर और होम थिएटर सिस्टम  

- रेसिंग या पोलो के लिए इस्तेमाल होने वाले घोड़े  


अगर इनमें से किसी भी सामान की सिंगल ट्रांजैक्शन वैल्यू 10 लाख रुपये से ज्यादा है, तो 1% TCS कलेक्ट करना अनिवार्य है। मान लीजिए, आपने 15 लाख की घड़ी खरीदी, तो सेलर को 15,000 रुपये का TCS कलेक्ट करना होगा। अगर आप बिजनेस में हैं और ये सामान बेचते हैं, तो अपनी अप्रैल 2025 की ट्रांजैक्शंस चेक करें, खासकर 2 अप्रैल के बाद की। अगर आपने TCS नहीं कलेक्ट किया, तो ये आपकी जिम्मेदारी है, और इसे मई 2025 तक जमा करना होगा।"


*TCS सेक्शन को क्रॉस आउट करते हुए ग्राफिक्स*  

"दूसरा बदलाव एक बड़ी राहत है! सेक्शन 206C(1H) के तहत सेल पर TCS को 1 अप्रैल 2025 से पूरी तरह हटा दिया गया है। पहले, अगर आपकी सेल 50 लाख रुपये से ज्यादा थी, तो आपको TCS कलेक्ट करना पड़ता था। लेकिन अब ये नियम खत्म हो गया है। ये इसलिए किया गया क्योंकि सेक्शन 194Q (पर्चेज पर TDS) के साथ ये नियम डुप्लिकेशन और कन्फ्यूजन पैदा कर रहा था। अब केवल पर्चेज पर TDS लागू होगा। तो, अपनी बुक्स चेक करें—अगर आपने अप्रैल में सेल पर TCS कलेक्ट कर लिया है, तो उसे तुरंत ठीक करें, क्योंकि ये नियम अब लागू नहीं है। ये बिजनेसेज के लिए बहुत बड़ी सिम्प्लिफिकेशन है!"


[सेगमेंट 3: 4:30 - 6:00]  

*पैन कार्ड और टैक्स फॉर्म्स की एनिमेशन*  

"तीसरा बदलाव TDS और TCS दोनों के लिए है। पहले, अगर किसी व्यक्ति का पैन नहीं था, तो आपको 20% की हायर रेट से TDS या TCS डिडक्ट करना पड़ता था। साथ ही, अगर कोई व्यक्ति इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल नहीं करता था, तो भी हायर रेट लागू होता था। लेकिन नॉन-ITR फाइलर्स को ट्रैक करना बहुत मुश्किल था। अच्छी खबर ये है कि 1 अप्रैल 2025 से नॉन-ITR फाइलर का प्रावधान हटा दिया गया है। अब आपको सिर्फ पैन चेक करना है। अगर पैन नहीं है, तो 20% रेट से डिडक्शन करें। ITR फाइल किया या नहीं, ये चेक करने की जरूरत नहीं। इससे TDS और TCS डिडक्टर्स का काम बहुत आसान हो गया है!"


*एजुकेशन लोन और जंगल प्रोडक्ट्स की विजुअल्स*  

"चौथा बदलाव विदेशी रेमिटेंस और जंगल प्रोडक्ट्स से जुड़ा है। पहले, अगर आप एजुकेशन लोन लेकर 7 लाख रुपये से ज्यादा की रेमिटेंस करते थे, तो 5% TCS लागू होता था। लेकिन 1 अप्रैल 2025 से इस पर TCS पूरी तरह हट गया है। ये स्टूडेंट्स और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत है। इसके अलावा, जंगल प्रोडक्ट्स जैसे टिम्बर पर TCS रेट में बदलाव हुआ है।  

- अगर टिम्बर फॉरेस्ट लीज के तहत लिया गया है, तो TCS रेट 2.5% से घटाकर 2% कर दिया गया है।  

- अगर टिम्बर किसी अन्य तरीके से लिया गया है, तो भी 2% TCS लागू होगा।  

इन बदलावों को अपनी बुक्स में अपडेट करें, खासकर अगर आप टिम्बर या फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स के बिजनेस में हैं।


*थ्रेशहोल्ड बढ़ने को दिखाते चार्ट्स*  

"पांचवां बदलाव TDS थ्रेशहोल्ड्स में बढ़ोतरी से जुड़ा है, जो टैक्सपेयर्स को काफी राहत देता है। यहाँ डिटेल्स हैं:  

- **सेक्शन 194A**: बैंकों से मिलने वाले ब्याज (सिक्योरिटीज के अलावा) पर TDS की लिमिट अब बढ़ गई है। नॉन-सीनियर सिटीजन्स के लिए 40,000 से 50,000 रुपये, और सीनियर सिटीजन्स के लिए 50,000 से 1 लाख रुपये। अगर ब्याज बैंक के अलावा कहीं और से है, तो TDS की लिमिट 5,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है।  

- **सेक्शन 194D**: डिविडेंड पर TDS की लिमिट 5,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये। अब 10,000 से ज्यादा डिविडेंड पर 10% TDS कटेगा।  

- **सेक्शन 194DA**: इंश्योरेंस कमीशन की लिमिट 15,000 से बढ़ाकर 20,000 रुपये।  

- **सेक्शन 194G**: लॉटरी टिकट्स पर कमीशन की लिमिट भी 15,000 से 20,000 रुपये।  

- **सेक्शन 194H**: ब्रोकरेज या कमीशन की लिमिट 15,000 से 20,000 रुपये, और रेट 5%।  


अपनी बुक्स चेक करें कि कहीं आपने इन नई लिमिट्स से कम अमाउंट पर TDS तो नहीं काट लिया। ये राहत आपको और आपके क्लाइंट्स को फायदा देगी!"


*किराए के एग्रीमेंट्स और प्रोफेशनल फीस की विजुअल्स*  

"छठा बदलाव TDS ऑन रेंट और प्रोफेशनल फीस से जुड़ा है। सेक्शन 194I के तहत रेंट पर TDS में बड़ा बदलाव हुआ है। पहले आप पूरे साल का रेंट जोड़कर 2.5 लाख रुपये की लिमिट देखते थे। अब आपको महीने-दर-महीने चेक करना होगा। अगर मंथली रेंट 50,000 रुपये से ज्यादा है, तो TDS काटना अनिवार्य है। रेट वही हैं—लैंड और बिल्डिंग के लिए 10%, और प्लांट व मशीनरी के लिए 2%।  

इसी तरह, सेक्शन 194J के तहत प्रोफेशनल या टेक्निकल फीस की थ्रेशहोल्ड को 30,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है। अब 50,000 रुपये से ज्यादा की प्रोफेशनल रिसीट्स पर 10% TDS, और टेक्निकल या यूटिलिटी सर्विसेज पर 2% TDS लागू होगा। ये बदलाव प्रोफेशनल्स और बिजनेसेज के लिए बहुत जरूरी हैं।"


*लैंड एक्विजिशन और टैक्स फॉर्म्स की एनिमेशन*  

"सातवां और आखिरी बदलाव लैंड एक्विजिशन के लिए एनहांस्ड कंपनसेशन से जुड़ा है। सेक्शन 194LA के तहत पहले 50,000 रुपये से ज्यादा की कंपनसेशन पर 10% TDS लागू होता था। अब इसकी थ्रेशहोल्ड को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है। यानी, 5 लाख से ज्यादा की कंपनसेशन पर ही TDS कटेगा। ये लैंडओनर्स के लिए बहुत बड़ी राहत है, खासकर ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में।"


*सब्सक्राइब और शेयर बटन्स के साथ कॉल-टू-एक्शन विजुअल्स*  

"तो दोस्तों, ये थे FY 2025-26 के 7 सबसे जरूरी TDS और TCS बदलाव। अपनी बुक्स ऑफ अकाउंट्स को तुरंत चेक करें, गलतियों को ठीक करें, और पेनल्टी से बचें। अगर आपको ये वीडियो पसंद आया, तो लाइक करें, सब्सक्राइब करें, और अपने दोस्तों, फैमिली, और बिजनेस पार्टनर्स के साथ शेयर करें। मेरे इंस्टाग्राम हैंडल को फॉलो करें—आईडी स्क्रीन पर है। साथ ही, TAXGURUJI DIGITAL CHANNEL  पर जाएँ, जहाँ आपको फ्री टैक्स अपडेट्स और कोर्सेज मिलेंगे, जो आपकी जॉब या प्रैक्टिस को नेक्स्ट लेवल पर ले जा सकते हैं। अगली वीडियो में मिलते हैं—तब तक टैक्स-स्मार्ट रहें!"  



 

 होम केयर प्रोडक्ट्स और लाइसेंस

परिचय 

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है हमारे चैनल पर! आज हम बात करेंगे होम केयर प्रोडक्ट्स के बारे में, जैसे डिसइनफेक्टेंट, फ्लोर क्लीनर, टॉयलेट क्लीनर, और ग्लास क्लीनर। ये प्रोडक्ट्स हमारे घरों को साफ और स्वच्छ रखने में मदद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से कुछ प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए खास लाइसेंस की जरूरत होती है? इस वीडियो में, हम आपको बताएंगे कि कौन-कौन से प्रोडक्ट्स के लिए लाइसेंस चाहिए, प्रक्रिया क्या है, और आप कैसे कानूनी रूप से अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं।

लाइसेंस की जरूरत क्यों? 

होम केयर प्रोडक्ट्स का बिजनेस शुरू करने से पहले यह समझना जरूरी है कि कुछ प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए लाइसेंस अनिवार्य है। Drugs and Cosmetics Act, 1940 के अनुसार, अगर आप बिना लाइसेंस के जर्म्स को मारने वाले प्रोडक्ट्स बनाते हैं, तो आपको 3 साल तक की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है। यह कानून इसलिए बनाया गया है ताकि प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित हो। तो, आइए जानते हैं कि कौन-कौन से प्रोडक्ट्स लाइसेंस के दायरे में आते हैं।

प्रोडक्ट्स के प्रकार

होम केयर प्रोडक्ट्स को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  • लाइसेंस चाहिए वाले प्रोडक्ट्स:

    • जो प्रोडक्ट्स जर्म्स को मारने का दावा करते हैं, जैसे:
      • फिनाइल
      • टॉयलेट क्लीनर (जो "99.9% जर्म्स मारता है" का दावा करते हैं)
      • सरफेस डिसइनफेक्टेंट
      • सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन
    • इनके लिए Form 25 पर मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस लेना जरूरी है, क्योंकि ये ड्रग्स की श्रेणी में आते हैं।
  • लाइसेंस नहीं चाहिए वाले प्रोडक्ट्स:

    • जो प्रोडक्ट्स केवल साफ करते हैं और जर्म्स किलिंग का दावा नहीं करते, जैसे:
      • फ्लोर क्लीनर (जो सिर्फ साफ करते हैं)
      • ग्लास क्लीनर
      • कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट
    • इनके लिए कोई ड्रग लाइसेंस की जरूरत नहीं है।

महत्वपूर्ण नोट: अगर आप किसी प्रोडक्ट को किसी और से बनवाकर अपना लेबल लगाते हैं और उस पर जर्म्स किलिंग का दावा करते हैं, तो भी आपको लाइसेंस लेना होगा।

लाइसेंस लेने की प्रक्रिया

अब बात करते हैं लाइसेंस लेने की प्रक्रिया की। यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो सकती है, लेकिन सही जानकारी के साथ आप इसे आसानी से पूरा कर सकते हैं। यहाँ हैं मुख्य चरण:

  1. टेस्ट लाइसेंस (Form 29):

    • सबसे पहले, आपको अपने प्रोडक्ट की छोटी मात्रा बनाने के लिए टेस्ट लाइसेंस लेना होगा। यह आपके राज्य के ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट से मिलता है।
  2. प्रोडक्ट टेस्टिंग:

    • टेस्ट लाइसेंस मिलने के बाद, आपको अपने प्रोडक्ट की टेस्टिंग करानी होगी। यह टेस्टिंग किसी मान्यता प्राप्त लैब में होनी चाहिए। अगर आपके पास अपनी लैब नहीं है, तो आप किसी अन्य लैब से सहमति लेटर ले सकते हैं।
  3. मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस (Form 25):

    • जब आपका प्रोडक्ट टेस्ट में पास हो जाता है, तब आप Form 25 पर मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकते हैं। यह लाइसेंस 5 साल के लिए वैध होता है।
  4. आवेदन प्रक्रिया:

    • आपको अपने राज्य के ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के ऑनलाइन पोर्टल, जैसे drugscontrol.org, पर आवेदन करना होगा।

समय: इस पूरी प्रक्रिया में 7 से 8 महीने लग सकते हैं, इसलिए धैर्य रखें और पहले से तैयारी शुरू करें।

जरूरी दस्तावेज 

लाइसेंस लेने के लिए आपको कई दस्तावेज जमा करने होंगे। यहाँ एक तालिका है जिसमें मुख्य दस्तावेजों की सूची दी गई है:

श्रेणी दस्तावेज
मालिक/पार्टनर/डायरेक्टर आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो
फैक्ट्री संबंधित रजिस्ट्री या रेंट एग्रीमेंट, जीएसटी रजिस्ट्रेशन, पैन कार्ड, मेमोरेंडम और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए)
टेक्निकल स्टाफ दो केमिस्ट (मैन्युफैक्चरिंग और एनालिटिकल), उनकी बीएससी/बी फार्मा डिग्री, मार्कशीट, अप्रूवल लेटर, आधार कार्ड
अन्य फायर एनओसी, पोलूशन एनओसी, पानी की टेस्ट रिपोर्ट, मशीनों की लिस्ट और बिल, प्रोडक्ट्स की लिस्ट, फैक्ट्री का नक्शा

टिप: सभी दस्तावेजों को पहले से तैयार रखें ताकि आवेदन प्रक्रिया में देरी न हो।

टेक्निकल स्टाफ और फैक्ट्री सेटअप 

  • टेक्निकल स्टाफ:

    • आपकी फैक्ट्री में कम से कम दो टेक्निकल स्टाफ होने चाहिए:
      • मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट: जो प्रोडक्ट्स को बनाएगा।
      • एनालिटिकल केमिस्ट: जो प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता की जांच करेगा।
    • दोनों की योग्यता कम से कम बीएससी या बी फार्मा होनी चाहिए। उनके दस्तावेज, जैसे डिग्री और मार्कशीट, लाइसेंस आवेदन के साथ जमा करने होंगे।
  • फैक्ट्री सेटअप:

    • आपकी फैक्ट्री को Good Manufacturing Practices (GMP) के नियमों का पालन करना होगा। इसके लिए आपको चाहिए:
      • चेंजिंग रूम
      • रॉ मैटेरियल स्टोरेज एरिया
      • मिक्सिंग और फिलिंग एरिया
      • टेस्टिंग लैब
    • अगर आप इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री लगा रहे हैं, तो आपको इंडस्ट्रियल अथॉरिटी से एनओसी लेनी होगी। अगर एग्रीकल्चरल लैंड पर है, तो चेंज ऑफ लैंड यूज (CLU) की जरूरत होगी।
  • मशीनें:

    • आपको प्रोडक्शन और टेस्टिंग के लिए विशेष मशीनें लगानी होंगी। इनकी लिस्ट और बिल लाइसेंस आवेदन के साथ जमा करने होंगे।

हमारी मदद कैसे लें 

अगर आप होम केयर प्रोडक्ट्स की फैक्ट्री शुरू करना चाहते हैं या लाइसेंस लेने में मदद चाहिए, तो हमारी कंपनी, जो सोनीपत, हरियाणा में स्थित है, आपकी पूरी सहायता करेगी। हम आपको फैक्ट्री सेटअप, लाइसेंस आवेदन, और टेक्निकल स्टाफ की जानकारी प्रदान करेंगे। संपर्क करें:

  • फोन नंबर: 08896759615
  • ईमेल: taxneelesh3@gmail.com

निष्कर्ष

दोस्तों, होम केयर प्रोडक्ट्स का बिजनेस एक शानदार अवसर है, लेकिन इसे शुरू करने से पहले लाइसेंस की जरूरतों को समझना बहुत जरूरी है। सही जानकारी और प्रक्रिया के साथ, आप कानूनी रूप से अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं और सफलता पा सकते हैं। अगर आपके कोई सवाल हैं, तो कमेंट सेक्शन में पूछें। हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं ताकि ऐसी उपयोगी जानकारी आपको मिलती रहे। धन्यवाद!

सावधानी: यह वीडियो केवल जानकारी के लिए है। लाइसेंस या फैक्ट्री सेटअप से पहले अपने राज्य के ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट से संपर्क करें और नियमों की पुष्टि करें।

I.T.R.-1 फॉर्म के बदलाव (आकलन वर्ष 2025-26) परिचय आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आईटीआर-1 (सहज) फॉर्म में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए ...